सार
TTD यानी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanams) 9 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजे से अपनी आधिकारिक बेवसाइट पर जनवरी और फरवरी के लिए भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के 300 रुपए दर्शन वाला ऑनलाइन टिकट जारी करेगा।
उज्जैन. भारत में अनेक प्राचीन मंदिर हैं, इन्हीं में से है तिरुपति बालाजी (Tirumala Tirupati Devasthanams)। इसे देश का सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में रोज हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं। भक्तों की सुविधा को देखते हुए यहां दर्शन के लिए ऑनलाइन टिकट जारी किए जाते हैं ताकि भक्तों को लंबी लाइन में इंतजार न करने पड़े। समय-समय पर मंदिर की आधिकारिक बेवसाइट पर ऑनलाइन टिकट जारी किए जाते हैं। जनवरी-फरवरी 2023 के दर्शनों के लिए TTD 9 जनवरी को सुबह 10 बजे से टिकट जारी करेगा। ये 300 रुपये की लागत वाला ऑनलाइन कोटा विशेष प्रवेश अर्चन (SED) टिकट रहेगा। आगे जानिए तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी खास बातें…
सिर्फ शुक्रवार को होते हैं पूरी मूर्ति के दर्शन
तिरुपति मंदिर में भगवान बालाजी के दिन में तीन बार अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन होते हैं। पहला रूप विश्वरूप कहलाता है, जिसके दर्शन सुबह के समय होते हैं। दूसरे स्वरूप के दर्शन दोपहर और और तीसरे स्वरूप के दर्शन रात में होते हैं। इनके अलावा भी बालाजी भगवान के अन्य कई स्वरूपों में दर्शन यहां होते हैं, जिनके लिए विभिन्न शुल्क भी मंदिर समिति द्वारा निर्धारित किए गए हैं। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही होते हैं।
बालाजी ने दिए थे साक्षात दर्शन
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, श्रीरामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक थे। वे लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की। जिसके फलस्वरूप स्वयं भगवान बालाजी ने उन्हें इस स्थान पर साक्षात दर्शन दिए थे। यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं के जुड़ी हुई हैं।
जाने से पहले जान लें ये नियम
अगर आप भी भगवान तिरुपति के दर्शन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ नियम जानना बहुत जुरूरी है। नियम के मुताबिक, तिरुपति बालाजी के दर्शन करने से पहले आपको कपिल तीर्थ पर स्नान करके कपिलेश्वर के दर्शन करनें होंगे, इसके बाद वेंकटाचल पर्वत पर जाकर बालाजी के दर्शनों का फल प्राप्त होगा। वहां दर्शन के बाद तिरुण्चानूर पहाड़ी पर पद्मावती के दर्शन करने की पंरापरा है।
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