सार
हिंदू धर्म में किए जाने वाले धार्मिक कार्यों में अनेक परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। ऐसी ही एक परंपरा है कलश स्थापना की।
उज्जैन. किसी भी शुभ या धार्मिक कार्य के प्रारंभ में पानी से भरे कलश की स्थापना की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार जानिए क्या है इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
- धार्मिक कार्यक्रमों में कलश स्थापना इसलिए की जाती है, क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार कलश में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा मातृ शक्तियों का निवास माना जाता है।
- समुद्र मंथन के समय प्राप्त अमृत भी कलश में ही था। प्राचीन मंदिरों या तस्वीरों में भी भगवती लक्ष्मी को दो हाथियों द्वारा कलश जल से स्नान कराते हुए चित्रित किया गया है।
- यही कारण है कि कलश को हिंदू धर्म में पवित्र तथा मंगल का प्रतीक माना गया है। जब किसी भी पूजन में कलश स्थापित किया जाता है तो यह माना जाता है कि कलश रूप में त्रिदेव तथा मातृशक्ति विराजमान है।
- शुभ कार्यों जैसे- गृह प्रवेश, गृह निर्माण, विवाह पूजा, अनुष्ठान आदि में कलश की स्थापना इसीलिए की जाती है।
- कलश को लाल वस्त्र, नारियल, आम के पत्तों, कुशा आदि से अलंकृत करने का विधान भी है।