सार

Tulsi Vivah 2022: हिंदू धर्म में हर त्योहार के साथ कोई-न-कोई परंपरा जरूर जुड़ी होती है। देवउठनी एकादशी से भी तुलसी विवाह की परंपरा जुड़ी है। इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। 
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना गया है। कई अवसरों पर तुलसी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। देवउठनी एकादशी भी इन अवसरों में से एक है। इस दिन तुलसी विवाह (Tulsi Vivah 2022) की परंपरा है। धर्म ग्रंथों में भी इस परंपरा के बारे में बताया गया है, उसके अनुसार, देवउठनी एकादशी पर शालिग्राम शिला, जिसे भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, के साथ तुलसी के पौधे का विवाह करवाया जाता है। तुलसी विवाह में कुछ खास चीजों से मंडप सजाया जाता है। ये चीजें हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र मानी गई हैं। आगे जानिए कौन-सी हैं वो खास चीजें… 

गन्ने और केले के पत्तों से सजाते हैं मंडप
तुलसी विवाह में मंडप बनाते समय केले के पत्तों और गन्ने का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। ये दोनों ही चीजें हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और पूजनीय मानी गई हैं। अनेक शुभ कामों में इनका उपयोग किया जाता है। ज्योतिष कारणों से भी इन चीजों का विशेष महत्व है। इस समय गन्ने की फसल आती है इसलिए इसकी अधिकता रहती है। आगे जानिए इन दोनों चीजों का उपयोग तुलसी विवाह के लिए मंडप सजाते समय क्यों किया जाता है…

शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि है गन्ना
हिंद धर्म में गन्ने को बहुत ही शुभ माना गया है। देवी लक्ष्मी के कई चित्र में उनके हाथों पर गन्ना दिखाई देता है। गन्ना हाथी का प्रिय भोजन भी है, जो देवी लक्ष्मी का वाहन है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गन्ने का संबंध शुक्र ग्रह से है। शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से ही वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं और हर तरह का सुख मिलता है। शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में है तो वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।  

गुरु ग्रह से संबंधित है केले का वृक्ष
केले को भी हिंदू धर्म में पवित्र वृक्ष माना गया है। गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल पाने के लिए केले के वृक्ष की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए गुरु ग्रह का शुभ होना जरूरी माना गया है। अगर गुरु ग्रह शुभ स्थिति में न हो तो विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते। यही कारण है कि तुलसी विवाह में केले के पत्तों से ही मंडप सजाने की परंपरा बनाई गई।


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