सार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ शुभ योग साल में सिर्फ एक ही बार बनते हैं। वारुणी (Varuni Parv 2022) भी एक ऐसा ही योग है। ये योग हिंदू नववर्ष के 2 दिन पहले आता है। इस बार ये योग 30 मार्च, बुधवार को है। इसे वारुणी पर्व भी कहते हैं।

उज्जैन. इस बार वारुणी पर्व पर त्रयोदशी तिथि और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जल के देवता यानी वरूण देव की पूजा की जाती है। वरुण देव की पूजा करने के कारण ही इसे वारुणी पर्व कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग का विशेष महत्व बताया गया है। वारुणी योग को हजारों ग्रहण के बराबर माना गया है। वारुणी योग में पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है। 

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जानिए वारुणी पर्व का महत्व और अन्य खास बातें…
- वारुणी पर्व पर भगवान वरुण यानी जल के देवता की पूजा की जाती है। साथ ही तीर्थों, नदियों, सागरों, कुओं और ट्यूबेल की पूजा का विधान भी इस दिन है। इस दिन तीर्थ स्नान और दान करने से कई सूर्यग्रहण में दिए दान के जितना फल मिलता है।
- इस दिन के बारे में पुराणों में कहा गया है कि चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शतभिषा नक्षत्र और शनिवार का संयोग होने से महावारूणी पर्व होता है। भविष्य पुराण के मुताबिक इस पर्व पर किया गया स्नान-दान और श्राद्ध अक्षय पुण्य देने वाला होता है। 
- वारुणी योग में भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस शुभ संयोग में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर पूजा करने और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करने से हर तरह की रूकावटें दूर हो जाती है और मनोकामना भी पूरी होती है।

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वारुणी योग में ये काम करना होता है शुभ…
1.
ज्योतिषियों के अनुसार, किसी विवाद का निपटारा करना हो तो इसके लिए वारुणी योग बहुत ही शुभ माना गया है। किसी नए कार्य की शुरूआत भी वारुणी पर्व पर कर सकते हैं। 
2. वारुणी योग में अचल संपत्ति जैसे मकान, दुकान, फ्लैट, प्लॉट आदि खरीदना भी शुभ रहता है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कृषि से जुड़े काम और किसी विशेष यात्रा पर जाने के लिए भी वारूणी योग श्रेष्ठ माना गया है।
3. शिक्षा से जुड़े मामलों या किसी ट्रेनिंग आदि पर जाने के लिए वारुणी पर्व बहुत शुभ फल देने वाला कहा गया है। इस योग में शुरू किए गए कामों में असफलता नहीं मिलती है।

 

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