सार
Vishnupad Temple Controversy: बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर में नीतिश सरकार के मुस्लिम मंत्री इसराइल मंसूरी के प्रवेश का मामला विवादों में आ गया है। मंदिर के पुजारियों और समिति ने लेकर इस बात को लेकर रोष जताया है।
उज्जैन. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) 22 अगस्त, सोमवार को रबर डैम का निरीक्षण करने गया आए थे। इस दौरान उनके साथ जिले के प्रभारी मंत्री इसराइल मंसूरी (Israel Mansoori controversy) भी थे। डैम का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गया के विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple) में पूजा के लिए गए। उनके साथ-साथ इसराइल मंसूरी भी मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गए। इस दौरान उन्हें किसी भी रोक भी नहीं। बाद में जब ये बात मंदिर के पुजारियों की पता चली तो मामला गरमा गया। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश को लेकर पहले ही रोक है। इससे संबंधित नोटिस भी वहां लगाया गया है। आगे जानिए क्यों खास है मंदिर और जानिए इससे जुड़ी मान्यताएं…
इसलिए मंदिर को कहते हैं विष्णुपद
बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर काफी प्राचीन है। यहां स्थित एक शिला पर दो चरण चिह्न बने हुए हैं। मान्यता है कि ये भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं। भगवान विष्णु के पैरों के निशान होने के कारण ही इस मंदिर का नाम विष्णपद रखा गया है। माना जाता है कि विश्व में विष्णुपद ही एक ऐसा स्थान है, जहां भगवान विष्णु के चरण का साक्षात दर्शन कर सकते हैं। विष्णुपद मंदिर के शिखर पर 50 किलो वजनी सोने का कलश और 50 किलो वजनी सोने की ध्वजा लगी है।
अहिल्याबाई ने करवाया था जीर्णोद्धार
बिहार का गया क्षेत्र पितृ तर्पण और श्राद्ध के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां लोग दूर-दूर से अपने पितरों का तर्पण करने आते हैं और इसके बाद वे विष्णुपद मंदिर भी जरूर जाते हैं। 18 वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई ने मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था। लेकिन यहां भगवान विष्णु का चरण सतयुग काल से ही है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन से समस्त दुखों का नाश होता है पितृों की आत्मा को भी शांति मिलती है। फल्गु नदी के तट पर स्थित यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
इस खास पत्थर से बना है ये मंदिर
विष्णुपद मंदिर सोने कसौटी पत्थर से बना है। ये पत्थर इसलिए खास है क्योंकि इसका उपयोग सोने की शुद्धता मापने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि इन पत्थरों को गया जिले के अतरी प्रखंड के पत्थरकट्टी से लाया गया था। भगवान विष्णु के चरण की लंबाई करीब 40 सेंटीमीटर है। भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के स्पर्श से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। इस मंदिर में साल भर पिंडदान होता है।
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