हिंदू पंचांग का नौवां महीना मार्गशीष जिसे अगहन भी कहते हैं 20 नवंबर, शनिवार से शुरू हो चुका है। ये महीना 19 दिसंबर तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने को बहुत ही विशेष माना गया है। इस महीने में किए गए स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है।
उज्जैन. मार्गशीर्ष महीने में नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के जानकारों का कहना है कि अगहन महीना श्रीकृष्ण का प्रिय होने से इस महीने यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इस महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में रहता है। इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा गया है।
नदियों में स्नान करने की परंपरा
अगहन मास में सुबह नदी स्नान करने का विशेष महत्व है। नदी में स्नान से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। अगर नदी में स्नान नहीं कर सकते तो अपने घर में ही नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए या पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इस तरह घर पर ही तीर्थ स्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। अगहन महीने के दौरान नदियों में स्नान करने से पाप खत्म हो जाते हैं।
सुख-समृद्धि के लिए शंख और लक्ष्मी पूजा
इस महीने में शंख पूजा करने की परंपरा है। अगहन महीने में किसी भी शंख को श्री कृष्ण का पांचजन्य शंख मानकर उसकी पूजा की जाती है। इससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस महीने देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है। इसी कारण लक्ष्मी पूजा में शंख को भी खास तौर से रखते हैं। लक्ष्मी जी और शंख पूजा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है।
श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करें
अगहन महीने में हर दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र बोलते हुए शंख से अभिषेक करें। इसके बाद वैजयंती के फूल, तुलसी पत्र और मोरपंख चढ़ाएं। पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। सुगंधित चीजें चढ़ाएं और पीली मिठाई या माखन मिश्री का नैवेद्य लगाएं। इस तरह श्रीकृष्ण की पूजा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।
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