Bhishm Jayanti 2022: कितने दिनों तक बाणों की शैया पर लेटे रहे भीष्म? इनसे जुड़ी ये 8 बातें बहुत कम लोग जानते है

महाभारत (Mahabharat) की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत ग्रंथ में कई प्रमुख पात्र हैं, भीष्म पितामह (Pitamah Bhishm) भी उनमें से एक हैं। भीष्म पितामह एकमात्र ऐसे पात्र हैं जो महाभारत की शुरूआत से अंत तक इसमें बने रहे।

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 10:38 AM IST

उज्जैन. भीष्म बाण लगने के 58 दिन तक जीवित रहे थे। उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया। फिर इच्छामृत्यु के वरदान से सूर्य उत्तरायण होने के बाद अपने प्राण त्यागे थे। मरने से पहले भीष्म ने युधिष्ठिर को राज धर्म की शिक्षा भी दी थी। माघ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को भीष्म पितामाह (Bhishma Jayanti 2022) की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 26 जनवरी, बुधवार को है। इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

1. भीष्म पितामह पूर्वजन्म में वसु (एक प्रकार के देवता) थे। उन्होंने बलपूर्वक ऋषि वसिष्ठ की गाय का हरण कर लिया था, जिससे क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें मनुष्य रूप में जन्म लेने व आजीवन ब्रह्मचारी रहने का श्राप दिया था।
2. भीष्म राजा शांतनु व गंगा की आठवीं संतान थे। बचपन में इनका नाम देवव्रत था। इन्होंने परशुराम से शस्त्र विद्या सीखी थी। एक बार देवव्रत ने बाणों से गंगा का प्रवाह रोक दिया था। देवव्रत की योग्यता देखते हुए शांतनु ने उन्हें युवराज बना दिया था।
3. देवव्रत ने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने व हस्तिनापुर की सेवा करने की शपथ ली थी। इतनी भीषण प्रतिज्ञा लेने के कारण ही इनका नाम भीष्म पड़ा। प्रसन्न होकर शांतनु ने उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान दिया था।
4. कुरुक्षेत्र का युद्ध शुरू होने से पहले युधिष्ठिर भीष्म पितामह से युद्ध करने की आज्ञा लेने आए। प्रसन्न होकर भीष्म ने उन्हें युद्ध में विजय होने का आशीर्वाद दिया। अपनी मृत्यु का रहस्य भी स्वयं भीष्म ने ही पांडवों को बताया था।
5. युद्ध में भीष्म द्वारा पांडवों की सेना का विनाश देखकर श्रीकृष्ण को बहुत गुस्सा आया। अर्जुन को भीष्म पर पूरी शक्ति से वार नही करते देख वे स्वयं चक्र लेकर भीष्म को मारने दौड़े। तब अर्जुन ने श्रीकृष्ण को रोका और पूरी शक्ति से भीष्म से युद्ध करने लगे।
6. भीष्म ने अपने गुरु परशुराम से भी युद्ध किया था। यह युद्ध 23 दिनों तक चला था। अंत मं। अपने पितरों की बात मानकर भगवान परशुराम ने अपने अस्त्र रख दिए। इस प्रकार इस युद्ध में न किसी की हार हुई न किसी की जीत।
7. भीष्म पितामह कौरव सेना के पहले सेनापति थे। 18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में भीष्म पितामह 10 दिन तक कौरव सेना के सेनापति रहे। इन 10 दिनों में उन्होंने पांडवों की सेना का भयंकर विनाश किया और कईं महारथियों का वध भी किया।
8. जब धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती वानप्रस्थ आश्रम में रह रहे थे, तब पांडव उनसे मिलने आए। तभी वहां महर्षि वेदव्यास भी आए। महर्षि ने अपने तप के बल से एक रात के लिए भीष्म आदि युद्ध में मारे गए सभी योद्धाओं को फिर से जीवित किया था।

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