
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस दिन सुख-समृद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा के साथ ही अन्य उपाय भी करने चाहिए। ऐसा करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है। इस विधि से करें भगवान श्रीगणेश की पूजा…
ये है गणेशजी की सरल पूजा विधि
- गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा साफ स्थान पर स्थापित करें।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं। पूजा का धागा अर्पित करें। चावल चढ़ाएं।
- इसके बाद दूर्वा की माला अर्पित करें। अगर माला उपलब्ध न हो तो जितनी संभव हो उतनी दूर्वा चढ़ाएं। उस पर हल्दी भी लगाएं।
- इसके बाद गणेश मंत्र बोलते हुए बूंदी के लड्डुओं या मोदक का भोग लगाएं। कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें।
- पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें। अगर संभव हो सके तो घर में ब्राह्मणों को भोजन कराएं। दक्षिणा दें।
- दूर्वा गणपति व्रत करने वाले व्यक्ति को शाम को चंद्र दर्शन करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए।
श्रीगणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा
कथा के अनुसार पुराने समय में अनलासुर नाम का एक राक्षस था। इस राक्षस के आतंक को सभी देवता खत्म नहीं कर पा रहे थे, उस समय गणेशजी ने अनलासुर को निगल लिया था। जिससे गणेशजी के पेट में बहुत जलन होने लगी थी। इसके बाद ऋषियों ने खाने के लिए दूर्वा दी। दूर्वा खाते ही गणेशजी के पेट की जलन शांत हो गई। इसी के बाद से गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
इन बातों का रखें ध्यान
पूजा के लिए किसी मंदिर के बगीचे में उगी हुई या किसी साफ जगह पर उगी हुई दूर्वा ही लेना चाहिए। जिस जगह गंदा पानी बहकर आता हो, वहां की दूर्वा भूलकर भी न लें। दूर्वा चढ़ाने से पहले साफ पानी से इसे धो लेना चाहिए।
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