उज्जैन. इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें उनके बुरे कामों के कारण जीवन में कभी न कभी अपयश यानी अपमान का सामना करना पड़ता है। गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे कामों के बारे में बताया भी गया है, जिसके कारण व्यक्ति को अपमानित होना पड़ता है। आज हम आपको उन्हीं कामों के बारे में बता रहे हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार वो 5 काम इस प्रकार हैं-
श्लोक
दाता दरिद्र: कृपणोर्थयुक्त: पुत्रोविधेय: कुजनस्य सेवा।
परापकारेषु नरस्य मृत्यु: प्रजायते दुश्चरितानि पञ्च।।अर्थात्- 1. दरिद्र होकर दाता होना,
2. धनवान होने पर भी कंजूस होना,
3. पुत्र का आज्ञाकारी न होना,
4. दुष्ट लोगों की सेवा करना तथा
5. किसी का अहित करते हुए मृत्यु होना। इन 5 कामों से अपमान ही मिलता है।
1. जब कोई गरीब व्यक्ति अपनी हैसियत से अधिक दान देता है तो उसे व उसके परिवार को धन से संबंधित अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि ऐसा वह बार-बार करता है तो कई बार स्थिति बहुत ही कठिन हो जाती है। इसलिए दान देते समय अपनी आर्थिक स्थिति जरूर देख लेना चाहिए, नहीं तो आगे जाकर अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
2. अगर आपके पास पर्याप्त धन है और फिर भी आप कंजूस हैं तो इसके कारण भी आपको अपमानित होना पड़ सकता है। सोच-समझकर पैसा खर्च करना अच्छी बात है, लेकिन जब ये जरूरत से ज्यादा हो जाता है तो आप कंजूस की श्रेणी में आ जाते हैं। कंजूस लोगों को अपनी इस आदत के कारण कई बार अपमान का सामना करना पड़ता है।
3. जिस व्यक्ति का पुत्र उसके कहने में नहीं होता, उसे भी परिवार, समाज के सामने अपमानित होना पड़ता है। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जहां पुत्र के कारण पिता को अपमानित होना पड़ा जैसे- दुर्योधन के कारण धृतराष्ट्र का राजपाठ ही नहीं बल्कि पूरे परिवार का ही नाश हो गया।
4. जो लोग दुष्ट यानी बुरे काम करने वाले लोगों के साथ रहते हैं व उनकी सेवा करते हैं अर्थात उनकी बात मानते हैं, ऐसे लोगों को भी अपने जीवन में कभी न कभी अपमानित जरूर होना पड़ता है। इसलिए बुरे काम करने वाले लोगों से दूर रहने में भलाई है।
5. अगर किसी का नुकसान करते हुए आपकी मौत हो जाती है तो ये भी अपमान का कारण है। हालांकि मृत्यु के बाद मान-अपमान का कोई महत्व नहीं रह जाता, लेकिन आपकी सालों से कमाई इज्जत पर इसका असर जरूर पड़ता है। आपके परिवार व आने वाली पीढ़ियों को भी आपके द्वारा किए गए इस काम के कारण शर्मिंदा होना पड़ सकता है। इसलिए कभी भी किसी का नुकसान नहीं करना चाहिए, यहां तक कि सोचना भी नहीं चाहिए।