Govats Dwadashi 3 सितंबर को, इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा से मिलता है संतान सुख और समृद्धि

Published : Sep 02, 2021, 10:25 AM ISTUpdated : Sep 02, 2021, 12:41 PM IST
Govats Dwadashi 3 सितंबर को, इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा से मिलता है संतान सुख और समृद्धि

सार

इस बार 3 सितंबर, शुक्रवार को गोवत्स द्वादशी (Govats Dwadashi 2021) जिसे बछ बारस भी कहते हैं, का पर्व मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन महिलाएं गाय व बछड़ों की पूजा करती हैं। 

उज्जैन.  गोवत्स द्वादशी यानी बछ बारस (3 सितंबर, शुक्रवार)  पर गाय और बछड़ों की पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल मिलता है क्योंकि गाय में सभी देवताओं का वास माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन गाय के दूध व उससे बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थ नहीं खाए जाते। बछ बारस की पूजा व व्रत विधि इस प्रकार है…

- सबसे पहले व्रतधारी महिलाएं सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गाय (दूध देने वाली) को उसके बछडे़ सहित स्नान कराएं।
- अब दोनों को नया वस्त्र ओढ़ाएं। दोनों को फूलों की माला पहनाएं। गाय और बछड़े के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं।
- अब तांबे के बर्तन में चावल, तिल, जल, सुगंध तथा फूलों को मिला लें। अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए गाय के पैर धोएं-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- इसके बाद माता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं। गौमाता का पूजन करने के बाद बछ बारस की कथा सुनें। दिनभर व्रत रखकर रात्रि में अपने इष्ट तथा गौमाता की आरती करके भोजन ग्रहण करें।
- इस दिन गाय के दूध, दही व चावल का सेवन न करें। यदि किसी के घर गाय-बछड़े न हो, तो वह दूसरे की गाय-बछड़े का पूजन करें।

इसलिए गाय को माना जाता है पवित्र...
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें कामधेनु निकली। पवित्र होने की वजह से इसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया। माना जाता है कि कामधेनु से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई।
- धर्म ग्रंथों में ये भी बताया गया है गाय में सभी देवता निवास करते हैं। गाय की पूजा करने से सभी देवताओं का पूजन अपने आप हो जाता है।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण भी गायों की सेवा करते थे। श्रीकृष्ण रोज सुबह गायों की पूजा करते थे और ब्राह्मणों को गौदान करते थे।
- महाभारत के अनुसार, गाय के गोबर और मूत्र में देवी लक्ष्मी का निवास है। इसलिए इन दोनों चीजों का उपयोग शुभ काम में किया जाता है।
- वैज्ञानिकों ने भी माना है कि गौमूत्र में बहुत से उपयोगी तत्व पाए जाते हैं, जिनसे अनेक बीमारियों का उपचार संभव है।
- गाय का दूध, घी आदि चीजें भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। विशेष अवसरों ब्राह्मणों को गाय दान करने करने की परंपरा आज भी है।
 

 

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