Guru Purnima को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद, जानिए इस तिथि का महत्व और खास बातें

आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा मनाए जाने को लेकर मतभेद है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 22, 2021 2:01 AM IST

उज्जैन. कुछ ज्योतिषियों का मत है गुरु पूर्णिमा 23 जुलाई, शुक्रवार को मनाई जाएगी तो कुछ का कहना है कि 24 जुलाई, शनिवार को। पंचांगों के अनुसार 23 जुलाई, शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि प्रात: 10.45 बजे से प्रारंभ होगी और 24 जुलाई को प्रात: 8.08 बजे तक रहेगी। चूंकि 24 जुलाई को पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से कम समय तक रहेगी इसलिए 23 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा या व्यास पूजा उत्सव मनाया जाना शास्त्र सम्मत रहेगा।

गुरु पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही अपने शिष्यों को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु के महत्व को समझने के लिए ही प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। गुरु के सामने क्या नहीं करना चाहिए, जानिए-

1. शिष्य को गुरु के समान आसन पर नहीं बैठना चाहिए। यदि गुरु जमीन पर बैठे हों तो शिष्य भी जमीन पर बैठ सकते हैं।
2. गुरु के सामने दीवार या अन्य किसी सहारे से टिक कर न बैठें, उनके सामने पांव फैला कर ना बैठें।
3. गुरु के सामने कभी भी अश्लील शब्दों का प्रयोग नही करें। गुरु की हर बात माननी चाहिए।
4. जब भी गुरु से मिलने जाएं तो खाली हाथ न जाएं, कुछ न कुछ उपहार अवश्य साथ ले जाएं।
5. गुरु के सामने सादे कपड़े पहनकर ही जाना चाहिए। धन का प्रदर्शन गुरु के सामने नहीं करना चाहिए।
6. गुरु अगर कोई ज्ञान की बात बता रहे हों तो उसे मन लगाकर सुनें यानी आलस्य न करें।
7. गुरु का नाम लेते समय उनके नाम के आगे परम आदरणीय या परमपूज्य जैसे शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
8. स्वयं कभी गुरु की बुराई न करें। अगर कोई गुरु की बुराई कर रहा हो तो वहां से उठकर चले जाना चाहिए।

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