कुछ लोगों को अपने हुनर का घमंड हो जाता है। वे सोचते हैं कि जो काम वे कर सकते हैं, उसे कोई दूसरा नहीं कर सकता। लेकिन ऐसा होता नहीं है। जैसे ही आपके दिमाग में घमंड आता है आपकी कला का क्षय होने लगता है।
उज्जैन. भूलकर भी अपनी कला पर घमंड न करें और समय रहते अपनी कला का हस्तांतरण दूसरे लोगों को कर दें। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है घमंड के कारण आपको कई बार लोगों के बीच हंसी का पात्र बनना पड़ सकता है।
जब गुरु ने सिखाया अपने शिष्य को सबक
किसी नगर में एक महान तलवारबाज़ रहता था। उसके जैसा तलवारबाज़ उस पूरे नगर में तो क्या पूरे राज्य में नहीं था। राज्य भर में उसकी ख्याति फैली हुई थी। वह नहीं चाहता था कि उसकी कला उसके साथ ही इस दुनिया से चली जाये. इसलिए उसने पूरे राज्य में एलान करवाया कि जो भी तलवारबाज़ी सीखना चाहता है, वह उसके पास आकर सीख सकता है।
राज्य के कई युवक उसके पास आये और उसके शिष्य बनकर तलवारबाज़ी सीखने लगे। उन शिष्यों में से एक शिष्य ने शीघ्र ही तलवारबाज़ी के सारे गुर सीख लिए और तलवारबाज़ी में पारंगत हो गया। उसे अपनी तलवारबाज़ी पर घमंड हो गया। किंतु उसे अपने गुरू सरीखी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं थी।
एक दिन उसने अपने गुरू को चुनौती दे दी। गुरू ने वह चुनौती स्वीकार कर ली। सात दिन बाद दोनों में मध्य तलवारबाज़ी का मुकाबला नियत किया गया। पूरे राज्य में इस मुकाबले की चर्चा हो गई। शिष्य को अपनी तलवारबाज़ी पर पूरा भरोसा था किंतु दिन गुजरने के साथ उसका यह भरोसा कम होने लगा।
उसे लगने लगा कि गुरू ने अवश्य तलवारबाज़ी की एक न एक विधा उसे नहीं सिखाई होगी। वह अपने गुरू पर नज़र रखने लगा, ताकि अभ्यास के दौरान यदि गुरू वह विधा प्रयोग करे, तो उसे देखकर वह सीख सके। एक दिन उसने देखा कि गुरू कहीं जा रहे हैं। वह उसका पीछा करने लगा।
गुरू लोहार के पास पहुँचा और लोहार को 15 फुट लंबी म्यान तैयार करने का आदेश दिया। शिष्य को जब ये पता चला तो उसने सोचा कि गुरू के पास 15 फुट लंबी तलवार है। जिसका उपयोग वो मेरे विरुद्ध करेंगे। बिना समय व्यर्थ किये वह एक अन्य लोहार के पास गया और उससे 16 फुट लंबी तलवार बनवा ली।
मुकाबले का दिन आया। गुरू और शिष्य दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने थे। जैसे ही मुकाबला शुरू हुआ, गुरू ने म्यान से तलवार निकालकर शिष्य की गर्दन पर रख दी। उधर शिष्य म्यान से अपनी 16 फुट लंबी तलवार निकालता ही रह गया। वास्तव में, गुरू ने म्यान 15 फुट की बनवाई थी, किंतु उसकी तलवार एक सामान्य तलवार थी।
लाइफ मैनेजमेंट
जीवन में हर युद्ध ताकत और बल के सहारे नहीं जीते जाते। आत्मज्ञान और अनुभव के सामने ताकत और बल भी फ़ीके पड़ जाते हैं। घमंड को कभी न कभी नीचा देखना ही पड़ता है। अपनी कला पर घमंड करने के बजाय उसे निखारने में समय लगायें।
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