Life Management: गधा जान-बूझकर व्यापारी का नुकसान करता था, सबक सिखाने के लिए व्यापारी ने किया ये काम

कुछ लोग बिना-समझे कोई भी काम कर बैठते हैं। कई बार उनकी उपाय काम भी कर जाता है, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि हर बार वही उपाय आपके काम आए। हर परिस्थिति को पहले अच्छी तरह सोच-समझ लें, इसके बाद ही उसके बारे में कोई निष्कर्ष निकालें।

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2022 3:12 AM IST

उज्जैन. स्थिति को समझने के बाद ही उससे जुड़ा उपाय आपके काम आ सकता है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है परिस्थितियों को भांपकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

जब व्यापारी ने सिखाया गधे को सबक
किसी शहर में नमक का एक व्यापारी रहता था। उसके पास एक गधा था। रोज सुबह वह गधे पर नमक की बोरियां लादकर आसपास के गांवों में बेचने के लिए जाता था। रास्ते में एक नदी भी थी और उस एक पुल बना हुआ था। व्यापारी उसी पुल से गधे को लेकर व्यापार के लिए जाता था।
एक दिन वह अपने गधे के साथ नमक लेकर जा रहा था, पुल पर पहुंचकर गधे का पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गया। नदी में गिरते ही उसकी पीठ पर लदा हुआ नमक भी पानी में घुल गया। गधे की पीठ पर रखा वजन कम हो गया तो गधे को बहुत राहत मिल गई। 
गधे ने सोचा कि ये तो बहुत अच्छा हुआ, अब मुझे ज्यादा वजन नहीं उठाना पड़ेगा। नमक घुलने की वजह से व्यापारी अपने घर लौट आया, पूरे दिन गधे को आराम मिल गया।
अगली सुबह व्यापारी ने रोज की तरह गधे की पीठ पर नमक की बोरियां लाद दीं। रास्ते में जैसे ही पुल आया तो गधा जानबुझकर पानी में बैठ गया। उसकी पीठ पर रखा नमक पानी में घुल गया और उसका बोझ हल्का हो गया। 
व्यापारी को समझ आ गया कि गधा जानबुझकर पानी में बैठा है। उसे बहुत गुस्सा आया और उसने ठान लिया कि वह गधे को मजा चखाएगा।
इसके बाद अगले दिन व्यापारी ने गधे की पीठ पर रूई के बोरे रख दिए और वह निकल पड़ा। रास्ते में जैसे ही नदी आई तो गधा बिना सोचे-समझे फिर से नदी में बैठ गया।
नदी में बैठते ही रूई गीली हो गई और उसका वजन बढ़ गया। अब उसे कई गुना अधिक वजन उठाना पड़ रहा था। उस दिन गधे ने सोच लिया कि आगे से वह ऐसा नहीं करेगा।

लाइफ मैनेजमेंट
कुछ भी काम बिना विचार किए नहीं करना चाहिए। कोई भी काम करने से पहले हमें सोच-विचार कर लेना चाहिए। इस कथा की दूसरी सीख ये है कि किसी मूर्ख को सबक सिखाकर ही काबू किया जा सकता है।


 

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