Life Management: राजा जंगल में फंस गया, एक तोते ने डाकुओं को सूचना दी, दूसरे ने राजा को बचा लिया…फिर क्या हुआ?

जब हम छोटे होते हैं तो हमारे माता-पिता इस बात का ध्यान जरूर रखते हैं हमारे दोस्त कैसे हैं, उनमें कौन-से गुण और कौन-से अवगुण हैं। क्योंकि वे संगति के प्रभाव को जानते हैं। संगति के मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 9, 2022 5:15 AM IST

उज्जैन. संगति का अर्थ है हम जैसे लोगों के साथ रहेंगे, उनके गुण-अवगुण हमें भी सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे। इसलिए बुरी आदतों वाले लोगों से हमेशा बचकर रहना चाहिए। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि संगति के अनुसार ही व्यक्ति का स्वभाव हो जाता है।

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जब जंगल में राजा को पकड़ा डाकुओं ने
एक बार एक राजा शिकार जंगल में गया। शिकार नहीं मिलने के कारण वह धीरे-धीरे घनघोर जंगल में प्रवेश गया। राजा अभी कुछ ही दूर गए थे कि उन्हें कुछ डाकुओं के छिपने की जगह दिखाई दी। जैसे ही वे उसके पास पहुचे कि पास के पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा “ पकड़ो-पकड़ो। एक राजा आ रहा है। इसके पास बहुत सारा सामान है, लूटो-लूटो, जल्दी आओ- जल्दी आओ।
तोते की आवाज सुनकर सभी डाकू राजा की और दौड़ पड़े। डाकुओं को अपनी ओर आते देख कर राजा और उसके सैनिक दौड़ कर भाग खड़े हुए। भागते-भागते कोसों दूर निकल गए। सामने एक बड़ा सा पेड़ दिखाई दिया। 
कुछ देर सुस्ताने के लिए उस पेड़ के पास चले गए , जैसे ही पेड़ के पास पहुचे कि उस पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा “आओ राजन, हमारे साधु महात्मा की कुटी में आपका स्वागत है। अन्दर आइये पानी पीजिये और विश्राम कर लीजिये।
तोते की इस बात को सुनकर राजा हैरत में पड़ गया और सोचने लगा की एक ही जाति के दो प्राणियों का व्यवहार इतना अलग-अलग कैसे हो सकता है? 
राजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह तोते की बात मानकर अन्दर साधु की कुटिया की ओर चला गया। साधु को प्रणाम कर उनके समीप बैठ गया और अपनी सारी कहानी सुनाई और फिर पूछा, “ऋषिवर इन दोनों तोतों के व्यवहार में आखिर इतना अंतर क्यों है?”
साधु ने धैर्य से सारी बातें सुनी और बोलेृ,” ये कुछ नहीं राजन, बस संगति का असर है। डाकुओं के साथ रहकर तोता भी डाकुओं की तरह व्यवहार करने लगा है और उनकी ही भाषा बोलने लगा है। जो जिस वातावरण में रहता है, वह वैसा ही बन जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मूर्ख भी विद्वानों के साथ रहकर विद्वान बन जाता है और अगर विद्वान भी मूर्खों के संगत में रहता है तो उसके अन्दर भी मूर्खता आ जाती है। 

लाइफ मैनेजमेंट
जब भी किसी को दोस्त बनाएं या किसी से नजदीकी बढ़ाएं तो उसके व्यवहार पर जरूर गौर करें। हम जैसे लोगों के साथ रहेंगे, उसके गुण-अवगुण हमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित जरूर करेंगे।
 

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