Vidur Niti: जानिए किन लोगों से बचकर रहें, धन के दुरुपयोग कौन-से हैं और ज्ञानी की पहचान कैसे करें?

महात्मा विदुर (Vidur Niti) हस्तिनापुर राज्य के महामंत्री थे। वे पांडु और धृतराष्ट्र के भाई भी थे, लेकिन दासी पुत्र होने के कारण उन्हें हस्तिनापुर का राजा नहीं बनाया गया। महत्मा विदुर हमेशा धृतराष्ट्र को अनेक उदाहरणों से सही राह दिखाने का प्रयास करते थे।

Contributor Asianet | Published : Nov 23, 2021 2:39 PM IST

उज्जैन. युद्ध से पहले महात्मा विदुर ने कई उदाहरण देकर धृतराष्ट्र को युद्ध रोकने के लिए समझाया था। इन्हीं संवादों को विदुर नीति के रूप में जाना जाना जाता है। महात्मा विदुर (Vidur Niti) की ये नीतियां आज से समय में भी प्रासंगिक हैं। महात्मा विदुर ने अपनी नीतियों में बताया है कि कौन मूर्ख है, किन कामों से आयु कम होती है और कौन लोग हमेशा दुखी रहते हैं। आज हम आपको विदुर नीति की कुछ ऐसी ही खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

बचना चाहिए इनसे
ये दस प्रकार के व्यक्ति धर्म और नीति संबंधी बातों को महत्त्वहीन समझते हैं– नशे में धुत्त, लापरवाह, विक्षिप्त, थका हुआ, क्रोधित, भूख से पीड़ित, जल्दबाज़, लालची, भयभीत तथा कामांध। ये सभी विनाश की ओर ले जाते हैं, अत: ऐसे लोगों के साथ रहने से बचना चाहिए।

धन के दो दुरुपयोग कौन-से हैं?
परिश्रम और नीतिगत ढंग से अर्जित धन के दो दुरुपयोग कहे गए हैं- पहला, कुपात्र को देना और दूसरा, सुपात्र को आवश्यकता पड़ने पर भी न देना ।

ज्ञानी की पहचान कैसे करें?
ज्ञानी वह है जिसके कर्तव्य, सलाह और पहले से लिए गए निर्णय को केवल कार्य संपन्न होने पर ही अन्य लोग जान पाते हैं, जो किसी विषय को शीघ्र समझ लेता है किंतु उसके बारे में धैर्यपूर्वक सुनता है, जो अपने कार्यों को कामना से नहीं बल्कि बुद्धिमानी से पूरा करता है, और किसी के बारे में बिना पूछे व्यर्थ की बात नहीं करता है।

भविष्य का आंकलन कैसे करें?
जो वृद्धि आगे चलकर नाश का कारण बनने वाली हो, उसे अधिक महत्व नहीं देना चाहिए और जो क्षय आगे चलकर प्रगति का कारण बनने वाला हो, ऐसे क्षय का भी आदर करना चाहिए।

प्रशंसा योग्य गुण कौन-से हैं?
इन आठ गुणों से मनुष्य की प्रशंसा होती है– बुद्धि, कुलीनता, मानसिक संयम, ज्ञान, वीरता, कम बोलना, दान देना और दूसरे के उपकार को याद रखना।

स्वर्ग के भी ऊपर कौन है?
शक्तिशाली होते हुए भी क्षमा कर देने वाला और निर्धन होते हुए भी दान देने वाला– ये दो प्रकार के व्यक्ति स्वर्ग के भी ऊपर स्थान पाते हैं।

किसकी रक्षा कैसे करें?
धर्म की रक्षा सत्य से, विद्या की रक्षा अभ्यास से, सौंदर्य की रक्षा स्वच्छता से और कुल की रक्षा सदाचार से होती है।

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