13 अक्टूबर को करें देवी महागौरी की पूजा, लगाएं नारियल का भोग, ये हैं शुभ मुहूर्त और आरती

आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी (Goddess Mahagauri) हैं। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) के आठवें दिन (इस बार 13 अक्टूबर, बुधवार) इनकी पूजा की जाती है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 12, 2021 11:40 AM IST / Updated: Oct 13 2021, 10:09 AM IST

उज्जैन. मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। 

13 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 6 से 7.30 तक- लाभ
सुबह 7.30 से 9 तक- अमृत
सुबह 10.30 से दोपहर 12 तक- शुभ
दोपहर 3 से शाम 4.30 तक- चर
शाम 4.30 से 6 बजे तक- लाभ

अन्य शुभ मुहूर्त
सुबह 8.25 से 11.20 तक
दोपहर 2.12 से 2.59 तक
शाम 5.54 से 7.19 तक
रात 10.56 से 11.44 तक

 

इस विधि से करें पूजा
- सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता महागौरी (Goddess Mahagauri) की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
- चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
- इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
- इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
- इसके बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं। ये शुभ फल देने वाला माना गया है।

मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

आज का उपाय
देवी महागौरी (Goddess Mahagauri) को नारियल का भोग लगाने से उनकी कृपा हम पर बनी रहती है। नारियल से बनी अन्य चीजों का भोग भी देवी को लगा सकते हैं।

देवी महागौरी (Goddess Mahagauri) की आरती
जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकली ओर ममता अंबे। जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती सत हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

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