10 अक्टूबर को करें देवी कूष्मांडा और स्कंदमाता की पूजा, ये है पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती

इस बार नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) में चतुर्थी और पंचमी का संयोग बन रहा है, जो 10 अक्टूबर, रविवार को है ( तिथियों को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है)। इस दिन चतुर्थी तिथि की देवी कूष्मांडा और पंचमी तिथि की देवी स्कंदमाता दोनों की ही पूजा की जाएगी।

Asianet News Hindi | Published : Oct 9, 2021 3:04 PM IST

उज्जैन. तिथि क्षय होने के कारण ही इस बार नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) 9 दिनों की न होकर 8 दिनों की है। इस दिन रवि और आयुष्मान नाम के 2 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए 10 अक्टूबर को कैसे करें देवी कूष्मांडा (goddess kushmanda) और स्कंदमाता की पूजा शुभ मुहूर्त, उपाय और आरती…

10 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 7.30 से 9 बजे तक- चर
सुबह 9 से 10.30 तक- लाभ
सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे तक- अमृत
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक- शुभ

देवी कूष्मांडा (goddess kushmanda) की पूजा विधि
10 अक्टूबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। अब मां कूष्मांडा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और मिष्ठान अर्पित करें। अब मां कूष्मांडा (goddess kushmanda) की आरती करें। पूजा के पश्चात क्षमा याचना करें।

मां कूष्मांडा आराधना मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

आज का उपाय
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ अर्पित करना चाहिए और इसका दान भी करें।

मां कूष्मांडा (goddess kushmanda) आरती 
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ 
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥ 
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥ 
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचती हो मां अंबे॥ 
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥ 
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥ 
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥ 
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥


स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा विधि
ऊपर कूष्मांडा देवी की पूजा विधि अनुसार ही स्कंदमाता की भी पूजा करें और केले का भोग लगाएं और बाद में इस भोग को ब्राह्मण को दे दें।

स्कंदमाता (Skandmata) का ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता (Skandmata) की आरती
नाम तुम्हारा आता, सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो मैं तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भगत प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई, चमन की आस पुराने आई।

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