नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री (goddess siddhidhatri) स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं।
उज्जैन. शास्त्रों के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियां हैं। ये सभी सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की आराधना से प्राप्त की जा सकती हैं। मां सिद्धिदात्री (goddess siddhidatri) कमल पुष्प पर आसीन होती हैं, हालांकि इनका भी वाहन सिंह है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है।
14 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 6 से 7.30 तक- शुभ
सुबह 10.30 से दोपहर 12 तक- चर
दोपहर 12 से 1.30 तक- लाभ
दोपहर 1.30 से 3 तक- अमृत
शाम 4.30 से 6 तक- सुभ
पूजा विधि
- सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता सिद्धिदात्री (goddess siddhidatri) की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
- चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।
- उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
- इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता सिद्धिदात्री (goddess siddhidatri) सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
- इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
- इसके बाद प्रसाद वितरण कर कन्या पूजन करें। पूजन के बाद माता के ध्यान मंत्र का जाप करना शुभ फल देने वाला माना गया है।
मंत्र
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
मां सिद्धिदात्री (goddess siddhidatri) की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम, हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में न कोई विधि है, तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे, कभी काम उस के रहे न अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, वंदना है सवाली तू जिसकी दाता...
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