तंत्र-मंत्र के लिए प्रसिद्ध है देवी का ये मंदिर, भारत-चीन युद्ध के दौरान PM नेहरू ने यहां करवाई थी विशेष पूजा

धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti 2022)  मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी तिथि पर देवी बगलामुखी प्रकट हुई थी। इस बार ये तिथि 9 मई, सोमवार को है।

Manish Meharele | Published : May 9, 2022 3:11 AM IST

उज्जैन. इस दिन माता बगलामुखी के भक्त देवी की विशेष पूजा करते हैं और मनोकामना पूर्ति के लिए साधना भी करते हैं। देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक हैं। इनका एक नाम पीतांबरा भी है। क्योंकि पीले रंग की वस्तुएं विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं। ये तंत्र-मंत्र की प्रमुख देवी भी हैं। कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में सफलता पाने के लिए देवी बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। वैसे तो देश में देवी बगलामुखी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित पीतांबरा पीठ (Pitambara Peeth, Datia) सबसे प्रमुख है। इस मंदिर से और भी कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आगे जानिए इनके बारे में…

स्वामी जी ने की थी मंदिर की स्थापना (Pitambara Peeth, Datia Itihas)
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीतांबरा मंदिर को सिद्ध पीठ कहा जाता है। ये स्थान को काफी प्राचीन है, लेकिन यहां देवी की स्थापना 1935 में एक पहुंचे हुए संत जिन्हें लोग स्वामीजी के नाम से जानते हैं, के द्वारा की गई थी। स्वामीजी के नाम को लेकर लोगों के बीच विरोधाभास है। ये चमत्कारी धाम स्वामीजी के जप और तपस्या के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है। मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी कहा जाता है। राजनीति से जुड़े लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां गुप्त पूजा करवाते हैं। भक्तों को मां का दर्शन एक छोटी-सी खिड़की से होता है।

देश के कई प्रधानमंत्री करवा चुके हैं पूजा-अनुष्ठान
इस मंदिर में देश के कई नामी राजनेता यहां तक की प्रधानमंत्री भी पूजा-अनुष्ठान करवा चुके हैं। सन 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर यहां 51 कुंडीय महायज्ञ किया गया था। परिणामस्वरूप 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है। इस बात की जानकारी यहां लगी पट्टिका पर भी पढ़ी जा सकती है। इसी प्रकार का अनुष्ठान सन् 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी किया गया था। 

कैसे पहुंचें? (Pitambara Peeth, Datia Kese Pahuche)
दतिया से निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर में है, जो यहां से 75 किलोमीटर है। दतिया रेलवे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, श्री पीताम्बरा पीठ दतिया रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दतिया ग्वालियर, झांसी, कानपुर, जयपुर, इंदौर आदि से सड़क परिवहन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

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