Chandra Grahan 2022: इन 4 ग्रहों के संयोग से होते हैं ग्रहण, जानें ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Chandra Grahan 2022: साल में कई बार चंद्र और सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है। खगोलीय दृष्टिकोण से ये आम बात है लेकिन भारत में इसे धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी देखा जाता है। इस बार साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 8 नवंबर, मंगलवार को होने जा रहा है।
 

Manish Meharele | Published : Nov 3, 2022 8:34 AM IST

उज्जैन. सूर्य व चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) हजारों सालों से हो रहे हैं। कई धर्म ग्रंथों में इनका वर्णन मिलता है। महाभारत युद्ध के दौरान भी ग्रहण हुए थे। इस बार साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 8 नवंबर, मंगलवार को होने जा रहा है। ग्रहण से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भारतीय जनमानस के बीच प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे शकुन-अपशकुन से जोड़कर भी देखते हैं। ग्रहण क्यों होते हैं, इसे लेकर ज्योतिष शास्त्र, धर्म ग्रंथ व खगोल विज्ञान में अलग-अलग मत है। आज हम आपको इन तीनों मतों के बारे में बता रहे हैं…

ज्योतिष शास्त्र से जानें क्यों होता है ग्रहण? (Learn from astrology why there is an eclipse?)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भी सूर्य-चंद्रमा के साथ राहु या केतु का योग बनता है तब सूर्य व चंद्र ग्रहण होते हैं। हाल ही में 25 अक्टूबर को जो सूर्य ग्रहण हुआ था, उस समय तुला राशि में सूर्य-चंद्रमा के साथ केतु भी था। 8 नवंबर को जो चंद्र ग्रहण होने जा रहा है, उस दिन मेष राशि में चंद्रमा के साथ राहु रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। जब भी सूर्य या चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है तो इन दोनों ग्रहों का संयोग जरूर होता है।

धर्म ग्रंथों से जानें क्यों होता है ग्रहण? (Know the religious reason for the eclipse)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद जब धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले तो उसे पाने के लिए देवताओं और दैत्यों में युद्ध होने लगा। देवताओं की मदद के लिए भगवान विष्णु मोहिनी अवतार में प्रकट हुए और कहा कि वे दैत्यों और दानवों को बारी-बारी से अमृत पिलाएंगे। उनकी बात सभी ने मान ली। मोहिनी रूप भगवान विष्णु छल से देवताओं को अमृत पिलाने लगे, ये बात स्वरभानु नाम के एक दैत्य ने देख ली। वह देवताओं का रूप बनाकर सूर्य और चंद्रदेव के बीच में जाकर बैठ गया। जैसे ही उसने अमृत पिया, सूर्य-चंद्र ने उसे पहचान लिया। तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका मस्तक काट दिया। लेकिन अमृत पी लेने के कारण वह अमर हो चुका है। उस राक्षस का सिर राहु और धड़ केतु कहलाया। मान्यता है कि सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए ही राहु-केतु समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा को निकल लेते हैं, जिससे ग्रहण होते हैं।

खगोल विज्ञान से जानें क्यों होता है ग्रहण? (Learn from astronomy why eclipse happens?)
खगोल विज्ञान के अनुसार, जब-जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आती है तो चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है, जिसके चलते चंद्रमा कभी पूरा तो कभी आंशिक रूप से पृथ्वी से ढंक जाता है। इसी स्थिति को चंद्रग्रहण कहते हैं। और जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो सूर्य कभी पूर्ण तो कभी आंशिक रूप से चंद्रमा से ढ़क जाता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।


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