देवी पार्वती, मार्कंडेय ऋषि और समुद्र मंथन से जुड़ा है सावन का महत्व, इसका हर दिन है एक उत्सव

हिंदू पंचांग के 12 महीनों में श्रावण का विशेष महत्व है, क्योंकि इस मास में शिव पूजा का बहुत महत्व होता है। श्रावण का हर दिन अपने आप में खास होता है। सोमवार से रविवार तक हर दिन की गई शिव पूजा से अलग-अलग शुभ फल मिलता है। इस महीने की हर तिथि पर व्रत किया जाता है।

Asianet News Hindi | / Updated: Jul 30 2021, 08:10 AM IST

उज्जैन. हिंदू पंचांग के 12 महीनों में श्रावण का विशेष महत्व है, क्योंकि इस मास में शिव पूजा का बहुत महत्व होता है। श्रावण का हर दिन अपने आप में खास होता है। सोमवार से रविवार तक हर दिन की गई शिव पूजा से अलग-अलग शुभ फल मिलता है। इस महीने की हर तिथि पर व्रत किया जाता है।

द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ:।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत:।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:।
यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।

अर्थ- भगवान शिव कहते हैं कि, सभी महीनों में मुझे श्रावण अत्यंत प्रिय है। इसकी महिमा सुनने योग्य है। इसलिए इसे श्रावण कहा जाता है। इस महीने में पूर्णिमा पर श्रवण नक्षत्र होता है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इस महीने की महिमा को सुनने से ही सिद्धि मिलती है। इसलिए भी इसे श्रावण कहा गया है।

सावन का महत्व
1. देवी पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में बिना कुछ खाए और बिना पानी पिए कठिन व्रत और तपस्या की थी। फिर शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसका एक कारण ये भी है कि भगवान शिव श्रावण महीने में पृथ्वी पर अपने ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि हर साल सावन में भगवान शिव अपने ससुराल आते हैं।

2. माना जाता है की सावन के महीने में ही समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला उसे भगवान शंकर ने गले में ही रोक लिया और सृष्टि की रक्षा की। लेकिन विष पीने से भगवान का कंठ नीला पड़ हो गया। इसलिए उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। जहर का असर कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाना शुरू किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है।

3. कुछ विद्वानों ने मार्कंडेय ऋषि की तपस्या को भी श्रावण महीने से जोड़ा है। माना जाता है कि मार्कंडेय ऋषि की उम्र कम थी। लेकिन उनके पिता मरकंडू ऋषि ने उन्हें अकालमृत्यु दूर कर लंबी उम्र पाने के लिए शिवजी की विशेष पूजा करने को कहा। तब मार्कंडेय ऋषि ने श्रावण महीने में ही कठिन तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। जिससे मृत्यु यानी काल के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे। इसलिए शिवजी को महाकाल भी कहा जाता है।

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