Sharadiya Navratri 2022: देवी दुर्गा को किस देवता ने कौन-सा शस्त्र दिया, कैसे बना शेर उनका वाहन?

Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इससे जुड़ी कई कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। इस बार ये पर्व 26 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के दौरान रोज देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। 
 

Manish Meharele | / Updated: Sep 26 2022, 05:45 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, साल में 4 बार नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2022) का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इन चारों में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर, सोमवार से 4 अक्टूबर, मंगलवार तक मनाया जाएगा। नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और क्यों देवताओं ने देवी दुर्गा का आवाहन किया, इससे जुड़ी कई कथाएं पुराणों में पढ़ने को मिलती हैं। इनमें से एक कथा महिषासुर से भी जुड़ी है। आज हम आपको इसी कथा के बारे में बता रहे हैं।

जब देवताओं ने किया देवी का आवाहन
कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में महिषासुर नाम का एक दैत्य था। वह अत्यंत पराक्रमी था। उसने अपनी तपस्या से कई वरदान प्राप्त किए और इंद्र आदि देवताओं को सताने लगा। तब एक दिन सभी देवता मिलकर शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं से मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया। यही नारी रूप देवी दुर्गा कहलाया।

देवताओं ने दिए अस्त्र-शस्त्र
जब देवी दुर्गा प्रकट हुईं तो सभी देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। भगवान शंकर ने त्रिशूल, विष्णु ने सुदर्शन चक्र, वरुणदेव ने शंख, पवनदेव ने धनुष-बाण,  इंद्रदेव ने वज्र और घंटा, यमराज ने कालदंड, प्रजापति दक्ष ने स्फटिक माला, भगवान ब्रह्मा ने कमंडल, और सूर्यदेव ने माता को तेज प्रदान किया। कुबेरदेव ने मधु (शहद) से भरा पात्र मां को दिया।

समुद्र ने दिए आभूषण, हिमालय ने शेर
इसके बाद समुद्र ने मां को उज्जवल हार, दो दिव्य वस्त्र, दिव्य चूड़ामणि, दो कुंडल, कड़े, अर्धचंद्र, सुंदर हंसली और अंगुलियों में पहनने के लिए रत्नों की अंगूठियां भेंट कीं। सरोवरों ने उन्हें कभी न मुरझाने वाली कमल की माला अर्पित की। पर्वतराज हिमालय ने मां दुर्गा को सवारी करने के लिए शक्तिशाली सिंह भेंट किया। 

शक्ति पाकर देवी ने महिषासुर को ललकारा
देवताओं से अस्त्र-शस्त्र पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। महिषासुर अपनी सेना सहित देवी से युद्ध करने लगा। देखते ही देखते देवी दुर्गा ने महिषासुर की पूरी सेना का नाश कर दिया। इसके बाद महिषासुर और देवी के बीज भंयकर युद्ध होने लगा, जो 9 दिनों तक चला। दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध कर दिया। इन्हीं 9 दिनों को यादकर हमारे पूर्वजों ने नवरात्रि पर्व मनाने की शुरूआत की। 


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