श्राद्ध में गाय, कौआ और कुत्ते को क्यों दिया जाता है भोजन? जानिए इस परंपरा से जुड़ी मान्यता

17 सितंबर को सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के साथ ही श्राद्ध पक्ष का समापन हो जाएगा। ये समय पितरों को समर्पित रहता है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। श्राद्ध पक्ष से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा है कौओं और गायों के लिए भोजन देने की।

Asianet News Hindi | Published : Sep 15, 2020 3:57 AM IST

उज्जैन. श्राद्ध पक्ष से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा है कौओं और गायों के लिए भोजन देने की। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार जानिए क्या है इस परंपरा से जुड़ा मनोवैज्ञानिक और धार्मिक पक्ष…

- ग्रंथों के अनुसार, कौआ यम का प्रतीक है, जो दिशाओं का फलित (शुभ अशुभ संकेत बताने वाला) बताता है। इसलिए श्राद्ध का एक अंश इसे भी दिया जाता है।
- कौओं को पितरों का स्वरूप भी माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध का भोजन कौओं को खिलाने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध करने वाले को आशीर्वाद देते हैं।
- श्राद्ध के भोजन का एक अंश गाय को भी दिया जाता है क्योंकि धर्म ग्रंथों में गाय को वैतरणी से पार लगाने वाली कहा गया है।
- गाय में ही सभी देवता निवास करते हैं। गाय को भोजन देने से सभी देवता तृप्त होते हैं इसलिए श्राद्ध का भोजन गाय को भी देना चाहिए।
- कुत्ता यमराज का पशु माना गया है, श्राद्ध का एक अंश इसको देने से यमराज प्रसन्न होते हैं।
- शिवमहापुराण के अनुसार, कुत्ते को रोटी खिलाते समय बोलना चाहिए कि- यमराज के मार्ग का अनुसरण करने वाले जो श्याम और शबल नाम के दो कुत्ते हैं, मैं उनके लिए यह अन्न का भाग देता हूं। वे इस बलि (भोजन) को ग्रहण करें। इसे कुक्करबलि कहते हैं।

Share this article
click me!