EXCLUSIVE: भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता समेत कई मुद्दों पर बोले सुपरस्टार प्रदीप पांडे चिंटू, जानिए क्या कहा?

तकरीबन 24 फिल्मों में नजर आ चुके 30 साल के चिंटू ने बताया कि उन्होंने बचपन में ही फिल्मों में कदम रख दिया था। उन्होंने इस दौरान अपने संघर्ष के बारे में भी बात की।

एंटरटेनमेंट डेस्क. हाल ही में भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार प्रदीप पांडे चिंटू को हाल ही में रांची में हुए पांचवे झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी फिल्म अभिनेता का अवॉर्ड दिया गया है। इस मौके पर उन्होंने एशियानेट न्यूज हिंदी से बातचीत में भोजपुरी फिल्मों में अपने करियर, फिल्मों को लेकर किए जाने वाले अश्लीलता के दावों और अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की। पेश हैं उनसे उनकी हुई एक्सक्लुसिव बातचीत के अंश:- 

Q. देश-विदेश की 172 फिल्मों के बीच अपने आपको बेस्ट एक्टर के तौर पर चुने जाने को लेकर आप कैसे लेते हैं?
A.
झारखंड इंटरनेशनल फिल्म महोत्सव में 22 देशों की अलग-अलग भाषाओं की 172 फ़िल्में आई थीं। उसमें मुझे भोजपुरी श्रेणी में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला। जाहिरतौर पर यह मेरे लिए बेहद ख़ुशी और गर्व की बात है। यह पूरे भोजपुरी के लिए गौरव की बात है कि उनकी माटी के एक लाल चिंटू पांडे को लोगों ने सराहा और उन्हें वहां की जूरी ने चुना। झारखंड सरकार की ओर से मुझे यह अवॉर्ड मिला। इसके लिए मैं झारखंड सरकार और जीफा (JIFA) से जुड़े सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। 

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Q. आपने बचपन में एक्टिंग शुरू कर दी थी। आपको कैसे वह फिल्म मिली थी?
A.
बतौर बाल कलाकार मेरी पहली फिल्म 'दीवाना' थी। उस फिल्म के निर्माता रमाकांत प्रसाद जी एक बच्चे की तलाश कर रहे थे। यह एक स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर था, जो इसके नायक दिनेश लाल यादव जी और पाखी हेगड़े जी के बीच ब्रिज का काम करता है। इस किरदार के लिए मेकर्स ने चाइल्ड एक्टर की काफी तलाश की। 20-25 लड़कों के ऑडिशन किए थे, लेकिन उन्हें कोई समझ नहीं आया। एक दिन मैं स्कूल से आया था, उस वक्त मेरे पिता जी (जो कि उस फिल्म के डायरेक्टर थे) और उस फिल्म के प्रोड्यूसर बैठकर डिस्कशन कर रहे थे। रमाकांत जी ने मुझे देखा तो बोले चिंटू बाबू से ही करा लेते हैं ये। पापा ने कहा कि वह करेगा नहीं, बदमाशी कर देगा और आपकी शूटिंग नहीं होने देगा। लेकिन जब रमाकांतजी ने जोर देकर कहा तो पापा ने कहा देखते हैं।ना तो एक्टिंग मेरी रुचि थी और ना ही घर से किसी और की थी। इस बीच जब कोई लड़का समझ नहीं आया तो एक दिन पापा बोले कल से शूटिंग पर चलना है। मुझे लगा कि कोई छोटा-मोटा रोल होगा। लेकिन जब सेट पर पहुंचा तो फिल्म के राइटर संतोष मिश्रा ने पूरी स्क्रिप्ट पढ़कर सुनाई, तब समझ आया कि यह तो कई दिनों का मामला है। खैर, पिताजी डायरेक्टर थे तो वो जैसा-जैसा बताते गए, हम करते गए। यह फिल्म 2009 में रिलीज हुई थी और वह उस साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई।

Q. फिल्मों में चिंटू नाम से कैसे मशहूर हुए?
A.
मेरी एक फिल्म आई थी 'देवरा बड़ा सतावेला'। इस फिल्म में सभी किरदारों के नाम एक्टर्स के असली नाम पर रखे गए थे। चूंकि मेरा नाम प्रदीप पांडे काफी हैवी लग रहा था। इसलिए मेरे निकनेम चिंटू का इस्तेमाल इसमें किया गया। चिंटू मेरा घर का नाम है। दीवाना देखने के बाद इस फिल्म के प्रोड्यूसर दिलीप जायसवाल ने मुझे कास्ट किया था। 

Q. मुंबई में पैदा हुए। बावजूद इसके बॉलीवुड या मराठी को छोड़ भोजपुरी को चुनने की कुछ खास वजह?
A.
चूंकि मैं उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखता हूं। मेरी मातृभाषा अवधी है। मेरा इमोशन कनेक्ट उत्तर भारत से ज्यादा है। उसके अलावा मेरे पिता उसी फील्ड में इन्वॉल्व हैं। निर्माता हैं। सफल निर्देशक हैं। उन्होंने 50 से 55 फिल्मों का निर्देशन किया है। 25 फिल्मों का निर्माण किया है। उन्होंने बड़ी-बड़ी फ़िल्में बनाई हैं और ज्यादातर फ़िल्में उनकी ब्लॉकबस्टर रही हैं। कई फ़िल्में सिल्वर जुबलीज हैं, जो 25 सप्ताह से ज्यादा चली हुई हैं। वे भोजपुरी के बहुत बड़ा ब्रांड रहे हैं। जब भी उनकी फ़िल्में रिलीज होती थीं तो लोग हीरो का नाम बाद में देखते थे, पहले उनका नाम देखते थे कि राजकुमार आर. पांडे जी की फिल्म है तो यह अच्छी ही होगी। तो एक यह कारण भी था कि पापा भोजपुरी इंडस्ट्री में थे। दूसरा मेरी एक्टर बनने में कोई रुचि नहीं थी। लेकिन इस इंडस्ट्री के निर्माता मुझे कास्ट करते गए और आज मैं यहां हूं।

Q. आपने कहा कि एक्टर बनने में आपकी रुचि नहीं थी? फिर आपका असल इन्ट्रेस्ट किस चीज में था? 
A.
मेरे दादा जी डॉक्टर थे और मेरी रुचि क्रिकेट में ज्यादा थी। मैं क्रिकेट खेलता था। दिनरात उसी में लगा रहता था। लेकिन डेस्टिनी को कुछ और मंजूर था। मैं भोजपुरी सिनेमा करता गया और दर्शकों का प्यार मुझे मिलता गया। मैं दर्शकों का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे इतनी कम उम्र में इतना सफल एक्टर बना दिया है। पहली बार मैंने गाना गाया 'पांडे जी का बेटा', वह यूट्यूब पर सबसे ज्यादा देखे गए गानों में से एक है।

Q. आपके पिता फिल्म निर्माता-निर्देशक हैं तो एक्टर बनने का सफ़र कितना आसान रहा?
A.
मुझे स्ट्रगल करने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन जब आपके साथ इतना बड़ा नाम जुड़ा होता है, जैसे कि मेरे कंधों पर रहा है और अभी भी है श्री राजकुमार आर. पांडे जी का, मेरे पिताजी का तो लोगों की उम्मीदें आपसे काफी बढ़ जाती हैं। लोगों को लगता है कि ये तो उनके बेटे हैं तो इन्हें बहुत अच्छा काम करना चाहिए। उम्मीद पर खरा उतरना, संघर्ष से ज्यादा मेहनत वाली चीज़ है। इस धरती पर ऐसा कोई भी नहीं है, जो स्ट्रगल ना कर रहा हो। मुकाम बनाने के बाद उसे कायम रखने और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में जो संघर्ष होता है, वह शुरूआती संघर्ष से बड़ा होता है।उम्मीदों पर खरा उतरना बड़ी जिम्मेदारी होती है। अगर कोई पैसा खर्च करके मेरी फिल्म को इस उम्मीद के साथ देखने आता है कि यह तो अच्छी फिल्म होगी तो मेरी जिम्मेदारी बनती है, यह मेरा कर्म भी है और धर्म भी है कि मैं उस पैसे की वैल्यू रखूं। मैं उन्हें उस पैसे की कीमत अदा करूं अपनी अदाकारी से, उन्हें एंटरटेन कर के। मेरा सबसे बड़ा स्ट्रगल यही है, जो हर सुबह शुरू हो जाता है। जब आप एक समाज को, एक भाषा को, एक सिनेमा को रिप्रेजेंट करते हैं तो आपका दायित्व बढ़ जाता है। वह दायित्व आपको पूरा करना ही होता है। इसी के लिए हम दिन रात कार्यरत रहते हैं कि बेहतरीन से बेहतरीन फ़िल्में दें, जो लोगों के लिए भी हों और हमारी भोजपुरी भाषा को भी और ऊंचाई पर ले जाएं।

Q. भोजपुरी सिनेमा पर अश्लीलता परोसने के आरोप लगते रहे हैं। इस पर आपकी राय क्या है?
A.
भोजपुरी सिनेमा आज के दौर में सबसे बेहतर और सबसे खूबसूरत सिनेमा बन रहा है। चूंकि मैं सिनेमा से ही आता हूं तो बता दूं कि अश्लीलता जैसी चीज सिनेमा में बिल्कुल नहीं है। अगर आप पिछले चार-पांच साल की भोजपुरी फ़िल्में देखें तो उनका स्तर और उनका कंटेंट बहुत स्ट्रॉन्ग और बहुत अच्छी क्वालिटी का हो गया है। अब आप अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर किसी भी भोजपुरी फिल्म को आराम से देख सकते हैं। म्यूजिक वीडियो अलग होता है।  इस पर कोई सेंसर नहीं होता। उन्हें जो बनाता है, वह डायरेक्ट यूट्यूब पर या डिजिटल स्पेस पर रिलीज करता है। लेकिन जहां तक सिनेमा की बात है तो इसका सेंसर बोर्ड है। इसके अप्रूवल के बाद ही फिल्म रिलीज हो पाती है। भोजपुरी सिनेमा में अब अश्लीलता जैसी कोई चीज नहीं रही है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अब गानों में भी काफी बदलाव आया है। पहले के म्यूजिक वीडियो काफी लो क्वालिटी के होते थे। लेकिन अब काफी अच्छे स्तर के आ रहे हैं। हां, कुछ लोग अगर बना भी रहे हैं तो मेरा कहना है कि आप अच्छाई को देखें, उसे ही प्रमोट करें। बुराई को प्रमोट मत करिए ना। अगर ऐसे गाने आ रहे हैं तो आप उसे अवॉयड कर दीजिए। आप मत सुनिए ना। आप क्यों सुन रहे हैं। अगर आपको लगता है कि यह गाना अश्लील है, गंदा है तो उसे मत सुनिए ना। लेकिन हमारे यहां होता क्या है कि बुराई की ज्यादा बातें होती हैं, जिससे उसे बढ़ावा मिलता है। वहीं अच्छाई की बात ही नहीं होती।

Q. यूपी में फिल्म इंडस्ट्री आ रही है। आपको लगता है कि इसके आने से भोजपुरी को सपोर्ट मिलेगा?
A.
फिल्म सिटी बन रही है। लेकिन यह सिर्फ भोजपुरी के लिए नहीं बन रही है। ये यूनिवर्सल है। तो जो सबसे पैसे लिए जाएंगे, वहीं शायद हमसे भी लिए जाएंगे। जबकि हिंदी सिनेमा के मुकाबले हमारे बजट बेहद कम हैं। महाराष्ट्र में फिल्मसिटी है। जब यहां मराठी फिल्मों की शूटिंग होती है तो उन्हें विशेष अनुदान मिलता है। ऐसा ही कुछ हमारे लिए भी हो। अगर वहां (यूपी फिल्म सिटी में) जब भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग हो तो हमें एक अनुदान दे दिया जाए। ताकि हम और भी बेहतर फ़िल्में बना सकें।सिनेमा समाज का आइना है। किसी भी भाषा या वहां के लोगों की ग्रोथ में सिनेमा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

Q. आपके करोड़ों फैन हैं। लेकिन अगर पूछा जाए कि चिंटू जी किसके फैन हैं तो क्या जवाब मिलेगा?
A.
मैं अपने पिता राजकुमार आर. पांडे जी का फैन हूं।मैंने उन्हें ही देखा है, समझा है, उन्हें ही अपना आइडल माना है। उन्होंने ही मुझे बारीकियां सिखाई हैं। किसी पर्टिकुलर एक्टर का फैन नहीं बोल सकता, क्योंकि मुझे सबकी फ़िल्में पसंद हैं। सबकी फ़िल्में देखता हूं। सबकी अपनी एक विशेषता है। सबका अपना एक रंग है। सबका अपना एक स्टाइल है। एक जोन है। इसलिए किसी एक पर्टिकुलर का नाम लेना हो तो मैं अपने पिता का नाम लूंगा।

Q. भोजपुरी से हटकर अगर बॉलीवुड से पूछें तो?
A.
पता नहीं क्यों मेरा कोई एक एक्टर फेवरेट नहीं रहा है। अगर एक्टर के तौर पर बोलूं तो मैं खुद का ही बड़ा फैन हूं। ऐसा इसलिए कि जब मैं खुद का फेवरेट रहूंगा तो मुझे पता होगा कि मुझे अपने आपमें और क्या बेहतरीन लाना है। क्या और बेहतर करना है। मैंने सीखा सबसे है। मैं हर भाषा की फ़िल्में-वेबसीरीज देखता हूं और सीखता हूं।

Q. अगर आपको किसी की बायोपिक करनी हो तो किसकी करना चाहेंगे?
A.
हमारे बिहार और यूपी की धरती से कई बड़ी शख्सियत निकली हैं। अगर जीवनी पर सिनेमा बनाने की बात आएगी तो मैं सबसे आगे रहूंगा उसमें। महेंद्र मिश्र जी, वीर कुंवर सिंह जी, भिखारी ठाकुर जी, ये सब हमारे उत्तर प्रदेश के नगीने हैं। वीर अब्दुल हामिद जी की जीवनी मैं करना चाहूंगा।  बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड की भूमि से जो भी नगीने निकले हैं, मैं सबकी बायोपिक करना चाहूंगा।यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

Q. अगर आपको रीमेक करनी हो तो बॉलीवुड में ऐसी कोई पर्टिकुलर मूवी है क्या?
A.
ऐसी तो बहुत सी फ़िल्में हैं, जिनकी रीमेक मैं करना चाहूंगा। मुझे जो सबसे अच्छी लगती है, वह फिल्म है 'ओम शांति ओम'। इसका रीमेक मैं जरूर करना चाहूंगा। अगर और रीमेक की बात करूं तो कई महान लोगों की बायोपिक बनी हैं, मैं उन्हें करना चाहूंगा।

Q. आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स कौन-कौन से हैं?
A.
एक फिल्म रिलीज होने वाली है, जिसका नाम है 'होते होते प्यार हो गया'। उसके बाद एक फिल्म आ रही है 'इश्क', जो काफी बेहतरीन बनी है।  एक खूबसूरत और अलग सी लव स्टोरी है, जिसका फर्स्ट लुक और ट्रेलर जल्दी ही आएगा। उसके बाद एक और बेहतरीन फिल्म 'अग्नि साक्षी' भी आ रही है। फिर 'विवाह 3' भी आ रही है। ऐसी और भी कई फ़िल्में हैं, जो पाइपलाइन में हैं और काफी बेहतरीन हैं। ये फ़िल्में मनोरंजन भी करेंगी और समाज पर एक छाप भी छोड़ेंगी।

Q. फैन्स के लिए कोई संदेश?
A.
बस यही कहना चाहूंगा कि मैं अपने भोजपुरिया समाज से बेहद प्यार करता हूं। आप सबने जो प्यार और आशीर्वाद मुझे दिया है, उसके लिए सबका ताउम्र अहसानमंद रहूंगा। बस आपस में प्यार बनाए रखें। एकता बनाए रखें, ताकि पूरे विश्व में हमारा भोजपुरिया झंडा लहराता रहे। हमें खूब प्यार दें, सिनेमा को खूब प्यार दें और जो भी भोजपुरी फ़िल्में आप देखें सिनेमा हॉल्स में जाकर देखें। अच्छी फ़िल्में फ़िल्में बन रही हैं, पूरे परिवार के साथ देखें। मेरी फिल्मों को ढेर सारा प्यार दें।

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