नहीं रहीं एआर रहमान की मां करीमा बेगम, पति की मौत के बाद उनके इंस्ट्रूमेंट्स किराए पर देकर चलाती थीं घर

ऑस्कर अवॉर्ड विनर म्यूजिक कम्पोजर एआर रहमान (AR Rehman) की मां करीमा बेगम (Kareema Begum) का सोमवार को चेन्नई में निधन हो गया है। करीमा बेगम लंबे समय से बीमार चल रही थीं। मां की मौत की खबर बताते हुए एआर रहमान ने अपने सोशल मीडिया पर उनकी एक फोटो भी शेयर की है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2020 11:26 AM IST

मुंबई। ऑस्कर अवॉर्ड विनर म्यूजिक कम्पोजर एआर रहमान (AR Rehman) की मां करीमा बेगम (Kareema Begum) का सोमवार को चेन्नई में निधन हो गया है। करीमा बेगम लंबे समय से बीमार चल रही थीं। मां की मौत की खबर बताते हुए एआर रहमान ने अपने सोशल मीडिया पर उनकी एक फोटो भी शेयर की है। बता दें कि करीमा बेगम का असली नाम कस्तूरी था। उन्होंने अपना नाम उस वक्त बदल लिया था, जब बेटे का नाम दिलीप कुमार से बदलकर एआर रहमान किया था। 

 

मां के अचानक चले जाने से एक आर रहमान पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। सिंगर श्रेया घोषाल ने दुख जताया और लिखा- यह खबर सुनकर बेहद दुख हुआ रहमान सर। जिन लोगों से मैं अब तक मिली हूं, वो उनमें सबसे ज्यादा स्नेही शख्स थीं। दिवंगत आत्मा की 
शांति के लिए प्रार्थना। 

करीमा बेगम करीब एक साल से बीमार चल रही थीं। करीमा बेगम को आज ही सुपुर्दे-ए-खाक किया जाएगा। उनके अंतिम दर्शनों के लिए एआर रहमान के घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई है। बता दें कि करीमा ने राजगोपाला कुलशेखरन से शादी की थी, जो खुद एक म्यूजिक कम्पोजर थे। जब रहमान 9 साल के थे तभी उनके पिता कुलशेखर की मौत हो गई थी।

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पिता की मौत के बाद रहमान ऐसे चलाते थे घर : 
पिता की मौत के बाद रहमान के घर की फाइनेंशियल हालत काफी खराब हो गई। ऐसे में वो अपने पिता के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स को किराए से देकर अपना घर चलाते थे। बाद में इस काम की कमान माता करीमा ने अपने हाथ में ले ली थी। रहमान एक बेहतर की-बोर्ड प्लेयर थे। साथ ही वे कई मौकों पर म्यूजिक बैंड का बंदोबस्त भी करा देते थे। बता दें, स्कूल में अटेंडेंस कम होने के चलते 15 साल की उम्र में ही रहमान को पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।

दिलीप से यूं बन गए एआर रहमान : 
रहमान का जन्म एक हिंदू फैमिली में हुआ था लेकिन लेकिन धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर अल्ला रक्खा रहमान रख लिया। कहा जाता है कि 1989 में रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड़ गई थी। डॉक्टरों ने कह दिया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। रहमान ने बहन के लिए मस्जिदों में दुआएं मांगी और जल्द ही उनकी दुआ रंग लाई। इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया।
 

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