मास्क की जगह रुमाल बांध पहुंच गया ऑफिस, 3 दिन रहा बुखार और मैं वायरल समझ अनजाने में बांटता रहा संक्रमण

कोरोना (Corona) की दूसरी लहर अब कम जरूर हो गई है, लेकिन मौत के आंकड़े अब भी चिंताजनक हैं। देशभर में रोजाना 1500 के करीब लोगों की मौत हो रही हैं। इसके साथ ही महामारी की तीसरी लहर की आशंका से भी लोग डरे हुए हैं। दूसरी लहर ने देशभर में जो तांडव मचाया उससे कई लोग मौत के मुंह में समा गए। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से जंग लड़ी और कुछ ही दिनों में इससे पूरी तरह ठीक हो गए। 

Asianet News Hindi | / Updated: Jun 22 2021, 06:00 AM IST

इंदौर। कोरोना (Corona) की दूसरी लहर अब कम जरूर हो गई है, लेकिन मौत के आंकड़े अब भी चिंताजनक हैं। देशभर में रोजाना 1500 के करीब लोगों की मौत हो रही हैं। इसके साथ ही महामारी की तीसरी लहर की आशंका से भी लोग डरे हुए हैं। दूसरी लहर ने देशभर में जो तांडव मचाया उससे कई लोग मौत के मुंह में समा गए। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से जंग लड़ी और कुछ ही दिनों में इससे पूरी तरह ठीक हो गए। 

Asianet news के गणेश कुमार मिश्रा ने इंदौर निवासी अशोक वर्मा से बात की। 46 साल के वर्मा जी ने बताया कि एक लापरवाही के चलते वो कोरोना संक्रमित हो गए। लेकिन उससे भी बड़ी भूल तब हो गई जब उनके घर में उन्हीं की वजह से 3 लोग और कोरोना पॉजिटिव हो गए। हालांकि, सकारात्मक सोच और मजबूत आत्मबल के चलते सभी ने कुछ दिनों में ही कोरोना को मात दे दी। लेकिन इनका अनुभव बेहद डराने वाला रहा। 

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आखिर कैसे हो गई चूक :  
अशोक वर्मा के मुताबिक, मैं इंदौर की एक कंपनी में पिछले 12 सालों से काम कर रहा हूं। कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत तक हमारे ऑफिस में 50 परसेंट स्टॉफ को अलाऊ किया गया था। ऐसे में मैं पूरी तरह ऐहतियात बरतते हुए ऑफिस जाता रहा। मास्क, सैनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग सबकुछ फॉलो करता था। हालांकि, एक दिन मैंने लापरवाही कर दी और मास्क भूल गया। जब मैं ऑफिस पहुंचा तो सोचा कि रुमाल से ही काम चल जाएगा और मैंने बाहर से नया मास्क भी नहीं खरीदा।  

जब मास्क की जगह बांध लिया रुमाल और... 
ऑफिस में मेरे एक करीबी उस वक्त सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों से जूझ रहे थे। चूंकि हम लोग रोजाना गपशप करते थे, इसलिए उस दिन भी मैं हालचाल जानने के लिए उनके पास गया। चूंकि मैंने उस दिन मास्क की जगह रुमाल बांध रखा था तो शायद कोरोना वायरस के लिए वो नाकाफी था। हो ना हो, वहीं से मुझे संक्रमण ने अपनी चपेट में लिया होगा। 

दो दिन बाद आया बुखार तो लगा वायरल होगा : 
दो दिन बाद मुझे खांसी और बुखार की शिकायत हुई। पहले मुझे लगा कि ये वायरल है, जो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बुखार बढ़ता ही जा रहा था। शुरुआत में वायरल फीवर समझकर मैंने भी एहतियात नहीं बरती और घरवालों से मिलता-जुलता रहा। इस दौरान कहीं न कहीं अनजाने में ही मैंने घरवालों में भी संक्रमण बांट दिया था। मेरे घर में पापा-मम्मी के अलावा पत्नी और दो बच्चे हैं। इस तरह हमारा 6 लोगों का परिवार है। 

3 दिन रहा बुखार तो हुई शंका, ऑक्सीजन भी नीचे : 
3 दिन तक बुखार आने के बाद मुझे शंका हुई कि कहीं ये कोरोना तो नहीं। डरते-डरते ही सही, लेकिन मैंने सोचा टेस्ट करा लेता हूं। मैंने पास के ही एक सरकारी क्लीनिक में जाकर आरटीपीसीआर टेस्ट कराया। हालांकि चौथे दिन जब अपना ऑक्सीजन लेवल चेक किया तो वह 90 से नीचे पहुंच चुका था। ये देख मेरी धड़कन बढ़ गई। इसके बाद मैंने फौरन घरवालों से कहा कि आप लोग भी अपने-अपने टेस्ट करा लो। 

सांस लेने में हुई तकलीफ तो करना पड़ा एडमिट : 
पांचवे दिन मुझे सांस लेने में तकलीफ हुई तो मैंने फिर ऑक्सीजन चेक की। इस बार यह 85 के लेवल पर पहुंच गई थी। ऐसे में मैंने फौरन एडमिट होने का फैसला किया। मेरे बेटे के साथ मैं अस्पताल पहुंचा लेकिन किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड खाली नहीं था। करीब 4 घंटे तक शहर के 25 अस्पतालों में चक्कर लगाने के बाद किसी तरह मुझे बेड मिला। 

डॉक्टर ने कहा रेमडेसिविर का इंतजाम करके रखिए : 
कुछ घंटों तक ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद मुझे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। शुरुआत में मुझे स्टेराइड और कुछ दवाएं दी गईं और लगा कि रेमडेसिविर की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन बाद में डॉक्टर ने कहा कि रेमडेसिविर का इंतजाम करके रखिए। इसके बाद मेरे बेटे ने किसी तरह से दो इंजेक्शन बुलवाए और मुझे एक-एक दिन दोनों इंजेक्शन लगे। अगले दिन से मेरी तबीयत में कुछ-कुछ सुधार दिखने लगा। 

मेरे साथ ही घर के 3 और लोग भी हो गए पॉजिटिव : 
अब तक मेरे घरवालों की कोरोना रिपोर्ट भी आ चुकी थी। मेरे बेटे ने मुझे बताया कि उसके अलावा मेरी पत्नी और मां भी कोरोना संक्रमित हो गई हैं। अब मुझे अपने साथ ही घरवालों की चिंता भी सता रही थी। सबसे ज्यादा फिक्र इस बात की थी कि कौन मेरी देखभाल करेगा, और कौन घरवालों की मदद करेगा, क्योंकि हम 4 लोग तो खुद ही संक्रमित हो गए थे। 

ईश्वर की कृपा रही कि उनमें कोई नहीं हुआ सीरियस : 
भगवान की कृपा से मेरे घरवालों में कोई सीरियस नहीं हुआ और सभी ने देसी इलाज के साथ-साथ डॉक्टर की बताई हुईं दवाइयां लीं और एक हफ्ते में ही उनकी तबीयत ठीक होने लगी। इधर मैं भी अब दवाओं के असर से ठीक होने लगा और एक बार फिर मेरा ऑक्सीजन लेवल 90 के ऊपर आ चुका था। 

योगा, मेडिटेशन और नेचर के बीच जल्दी हुआ रिकवर : 
दो दिन के बाद ही डॉक्टर ने मुझे देखने के बाद कहा कि आपकी तबीयत में काफी सुधार हो चुका है। आप चाहें तो डिस्चार्ज हो सकते हैं। इस पर मैंने बेटे से बात की और छुट्टी करवा ली। इसके बाद मैं घर आ गया और घर पर ही योगा, मेडिटेशन और प्राकृतिक वातावरण में रहते हुए रिकवर होने लगा। शुरुआत में थोड़ी कमजोरी थी, लेकिन धीरे-धीरे मैं ठीक हो गया।

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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