न्यायालय ने मानहानि मामले में नुस्ली वाडिया और रतन टाटा से मतभेद सुलझाने के लिये कहा

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बांबे डाइंग के अध्यक्ष नुस्ली वाडिया और टाटा संस के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष रतन टाटा से कहा कि वे एकसाथ बैठकर मानहानि के मामले में अपने मतभेद सुलझायें
 

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बांबे डाइंग के अध्यक्ष नुस्ली वाडिया और टाटा संस के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष रतन टाटा से कहा कि वे एकसाथ बैठकर मानहानि के मामले में अपने मतभेद सुलझायें। वाडिया ने 2016 में रतन टाटा और टाटा संस के अन्य निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला उस वक्त दायर किया था जब उन्हें टाटा समूह की कुछ कंपनियों के निदेशक मंडल से निकाल दिया गया था।

प्रधान न्यााधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले की सुनवाई 13 जनवरी के लिये स्थगित करते हुये कहा, ‘‘आप दोनों परिपक्व व्यक्ति हैं। आप दोनों उद्योग जगत के नेता हैं। आप दोनों इस मामले को सुलझा क्यों नहीं लेते। आप दोनों एकसाथ बैठकर अपने मतभेद सुलझा क्यों नहीं लेते। ’’

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मानहानि करने की कोई मंशा नहीं

पीठ शुरू में तो बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुये इस मामले का निबटारा करना चाहती थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि इसमें मानहानि करने की कोई मंशा नहीं थी। लेकिन बाद में पीठ ने इसे 13 जनवरी के लिये उस समय स्थगित कर दिया जब वाडिया के वकील ने कहा कि इस मामले में अलग से दायर एक वाद के बारे में उन्हें अपने मुवक्किल से निर्देश प्राप्त करने होंगे।

इससे पहले, वाडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने कहा कि वह टाटा समूह के खिलाफ नहीं हैं और न ही निदेशक मंडल से हटाये जाने की वजह से हुयी मानहानि की भरपाई के लिये कोई दावा कर रहे हैं। कौल ने कहा, ''मैं कंपनी के खिलाफ नहीं हूं, जिसने मुझे हटाया। मैं उन व्यक्तियों के खिलाफ हूं जिन्होंने इस प्रस्ताव के लिये बैठक बुलाई, जिसे अंतत: मीडिया को लीक किया गया।'' उन्होंने कहा कि उन्हें आरोपों को वापस लेना चाहिए।

अन्य को उनसे भी कुछ शिकायतें 

पीठ ने वाडिया से कहा कि रतन टाटा और अन्य को उनसे भी कुछ शिकायतें हैं और सवाल यह है कि इसे मानहानि कैसे माना जाये। रतन टाटा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वाडिया ने जवाब मांगने के लिये कानूनी नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि बंबई उचच न्यायालय का निष्कर्ष है कि उनकी मानहानि करने की कोई मंशा नहीं थी और शीर्ष अदालत को इसे दर्ज करके याचिका का निबटारा कर देना चाहिए।

पीठ ने उच्च न्यायालय के निष्कर्ष को सही ठहराने संबंधी आदेश लिखाना जब खत्म किया तो कौल ने कहा कि उन्हें निर्देश मिला है कि उनके मुवक्किल इस मामले में मानहानि का वाद जारी रखना चाहते हैं। इस पर पीठ ने उसे समझ में नहीं आ रहा कि वह (वाडिया) इस वाद को क्यों आगे ले जाना चाहते हैं।

रतन टाटा और अन्य को नोटिस जारी

पीठ ने कौल से कहा कि वह 13 जनवरी तक अपने मुवक्किल से निर्देश प्राप्त करके सूचित करें कि क्या वह इस मामले में दायर वाद में आगे कार्यवाही करना चाहते हैं। वाडिया ने उच्च न्यायालय के पिछले साल के आदेश को चुनौती दी है जिसमें टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा, वर्तमान अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन और आठ निदेशकों के खिलाफ उनके आपराधिक मानहानि के मामले में मुंबई की निचली अदालत द्वारा शुरू की गयी कार्यवाही निरस्त कर दी गयी थी।

मजिस्ट्रेट की अदालत ने 15 दिसंबर, 2018 को रतन टाटा और अन्य को नोटिस जारी किये थे।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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