न्यायालय ने 29 फरवरी तक 933 करोड़ रुपए जमा करने पर सारदा माइन्स को दी खनन की अनुमति

उच्चतम न्यायालय ने खनन कंपनी ‘सारदा माइन्स प्राइवेट लिमिटेड’ को राहत देते हुए उसे पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर 29 फरवरी तक 933 करोड़ रुपए जमा करने की शर्त पर ओडिशा में खनन कार्य फिर से आरंभ करने की बृहस्पतिवार को अनुमति दे दी
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2020 7:47 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने खनन कंपनी ‘सारदा माइन्स प्राइवेट लिमिटेड’ को राहत देते हुए उसे पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर 29 फरवरी तक 933 करोड़ रुपए जमा करने की शर्त पर ओडिशा में खनन कार्य फिर से आरंभ करने की बृहस्पतिवार को अनुमति दे दी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने नवीन जिंदल की जेएसपीएल को ठकुरानी ब्लॉक खानों में उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क की ढुलाई की अनुमति दे दी।

हालांकि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण के लिए मुआवजे के रूप में एसएमपीएल द्वारा 933 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने के बाद ही जेएसपीएल लौह अयस्क की ढुलाई कर सकती है।

न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा

न्यायालय ने 16 जनवरी को कहा था कि वह जिंदल स्टील एवं पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को उसके ओडिशा स्थित संयंत्र के लिए सारदा खदान से उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क की ढुलाई की अनुमति देने के ‘‘खिलाफ नहीं’’ है। उसने मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

शीर्ष न्यायालय ने सारदा माइन्स प्राइवेट लिमिटेड (एसएमपीएल) से वचन लिया था कि वह पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार को 933 करोड़ रुपये देगी।

एसएमपीएल को पर्यावरण संबंधी मंजूरी न लेने की वजह से 31 मार्च 2014 को बंद कर दिया गया था। एसएमपीएल नवीन जिंदल की अगुवाई वाले जेएसपीएल संयंत्र को उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क की आपूर्ति करती थी।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)
 

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