भारी कर्ज की वजह से ठप हुए जेट एयरवेज के विमानों की उड़ान पिछले 5 महीने से बंद है। जिसके कारण एयरवेज ने कई कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन भी नहीं दिया है।
नई दिल्ली. भारी कर्ज की वजह से ठप हुए जेट एयरवेज के विमानों की उड़ान पिछले 5 महीने से बंद है। जिसके कारण एयरवेज ने कई कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन भी नहीं दिया है। जिसका सीधा असर उनकी निजी जिंदगी पर भी पड़ रहा है।
जेट एयरवेज के पूर्व कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सीआरपीसी की धारा 125 को चुनौती देते हुए कहा कि नौकरी नहीं होने की वजह से अपनी पूर्व पत्नी को गुजारा भत्ता देने में असमर्थ है। 125 वह धारा है जिसके तहत पत्नी को छोड़ने के बाद उसे गुजारा भत्ता देना पड़ता है।
SC से धारा 125 खत्म करने की मांग की
जेट एयरवेज के पूर्व कर्मचारी ने SC से कहा, ''कर्ज में लदे जेट एयरवेज के बंद होने से मैं बेरोजगार हो गया हूं। जिसके कारण भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी कारण सीआरपीसी की धारा 125 मेरे लिए अतिरिक्त बोझ बन गई है।'' जेट के कर्मचारी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस धारा को खत्म करने की भी मांग की है। उनके अनुसार यह धारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। यह याचिका एमएस विष्णु शंकर और श्रीराम पी ने दायर की है। दोनों याचिकाकर्ता ने एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में डिप्लोमा किया है जिन्हें जेट एयरवेज के बंद होने के कारण नौकरी गंवानी पड़ी।
भारी कर्जे में है जेट एयरवेज
जानकारी के अनुसार जेट एयरवेज पर 25 हजार करोड़ से अधिक का कर्जा है। जिसकी वजह से जेट विमान सेवा बंद पड़ी है। फिलहाल, जेट के अधिग्रहण की दौड़ में तीन कंपनियां रूसी कोष ट्रेजरी आरए पार्टनर्स, पनामा की निवेश कंपनी अवान्तुलो ग्रुप और दक्षिण अमेरिकी समूह सायनर्जी ग्रुप कॉर्प शामिल हैं।