31 जनवरी, 2024 को रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर बड़ा एक्शन लिया। RBI का ये एक्शन ED की जांच के बाद की गई। इस जांच में पाया गया था कि पेटीएम से रजिस्टर करीब 10 हजार UPI अकाउंट्स महादेव ऐप घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे।
बिजनेस डेस्क : पेटीएम के बाद कई और पेमेंट्स बैंक रडार पर आ गए हैं। इन पर भी कड़ा एक्शन लिया जा सकता है। इनमें कई पर तो मनी लॉन्ड्रिंग का भी शक है। दरअसल, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट(FIU) ने कई और पेमेंट बैंकों में करीब 50 हजार ऐसे अकाउंट्स का पता लगाया है, जिनका KYC ही नहीं हुआ है। जिससे आशंका है कि इनके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और संदिग्ध लेनदेन की जा रही है। बता दें कि पिछले महीने की आखिरी तारीख 31 जनवरी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (PPBL) पर कुछ नियमों का उल्लंघन करने पर बैन लगा दिया। इनमें KYC कम्प्लायंस न होना भी शामिल था।
किन नियमों की अनदेखी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन पेमेंट्स बैंकों में कई तरह के नियमों की अनदेखी चल रही है। इनमें संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट न करना, एक ही पैन नंबर से कई यूजर्स को रजिस्ट्रेशन कर देना और रिकॉर्ड मेंटेन न करना शामिल है। वित्त मंत्रालय की खुफिया यूनिट FIU 31 मार्च से पहले पेमेंट्स बैंकों की खामियों वाली एक रिपोर्ट भेजने वाली है। बताया जा रहा है कि 175,000 ऐसे अकाउंट्स हैं, जिनमें कम्प्लायंस की खामियां हैं। इनमें से 50,000 संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाई गई हैं। मतलब उनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है।
नियम क्या है
बता दें कि नियम के अनुसार, पेमेंट गेटवे समेत सभी रिपोर्टिंग संस्थाओं को मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के तहत किसी भी संदिग्ध लेनदेन की सूचना FIU को देना अनिवार्य होता है। जिसके बाद इसकी जांच की जाती है। इसके बाद इसे खुफिया एजेंसियों और ईडी जैसी संस्थाओं के साथ RBI को भेजा जाता है। PMLA सेक्शन 13 के अनुसार, वित्तीय संस्थानों, बैंकों और बिचौलियों को हर एक ट्रांजैक्शन, कस्टमर की पहचान, अकाउंट्स और रिकॉर्ड को मेंटेन करना अनिवार्य बनाता है। जिसे एफआईयू के साथ शेयर करना होता है।
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