एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सांप काटने से हर साल 64,000 लोगों की मौत हो जाती है। पिछले 20 साल में 12 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 97% मौतें गांव-देहात में हुई है। सांप काटने से महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मौत ज्यादा होती है।
बिजनेस डेस्क : भारत में मानसून के दौरान सांप काटने के मामले बढ़ जाते हैं। कई केस में तो मौत भी हो जाती है। बरसात में अक्सर गांवों में खेत, घर में सांप निकलते हैं। इस वजह से स्नेक बाइटिंग (Snake Bite) की खबरें आती रहती हैं। देश में सांपों की कुल 276 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 20-30 प्रतिशत तक सांप जहरीले होते हैं। जिनके काटने से मौत तक हो जाती है। बारिश में स्नेक बाइट के बढ़ते केस को देखते हुए कई राज्यों में इसे आपदा से हुई मौत सरकार ने घोषित किया है। सर्पदंश से होने वाली मौत पर सरकार पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाता है। केरल में तो बर्र या जहरीली मक्खी के काटने से मौत होने पर भी मुआवजा दिया जाता है। आइए जानते हैं सांप काटने से मौत पर कितना और कब मुआवजा (Snake Bite Death Compensation) मिलता है...
सांप काटने पर कितना मुआवजा मिलता है
रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सांप काटने पर मृतक के परिजन को 4 लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। वहीं, अगर सांप काटने से किसी किसान की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को 1 लाख रुपए किसान बीमा योजना के तहत जोड़कर दिया जाता है।
सांप काटने का मुआवजा कब तक आता है
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि चूंकि सांप के काटने से हुई मौत आपदा से हुई मौत मानी गई है। इसलिए राज्य सरकार के नियम कहते हैं कि मौत के 48 घंटे के अंदर-अंदर पूरी-पूरी कार्रवाई कर मुआवजे की राशि पीड़ित के सबसे नजदीकी संबंधी के अकाउंट में भेज दिया जाता है।
सर्पदंश पर मुआवजे के लिए क्या-क्या जरूरी
सांप के काटने से अगर मौत हो जाती है तो मुआवजे के लिए मृतक का पोस्टमॉर्टम सबसे जरूरी होता है। इसी की रिपोर्ट के आधार पर पीड़ित परिवार को मदद की राशि मिलती है। ऐसे में परिजन को मृतक का पोस्टमार्टम कराना चाहिए। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मुआवजा राशि पाने के लिए परिवार को सिर्फ दो काम करने होते हैं। उसके बाद प्रशासन पूरी कार्रवाई करता है।
सांप काटने पर मौत के बाद क्या करें
सांप काटने पर मुआवजे की कार्रवाई कैसे होती है
लेखपाल को सर्पदंश से मौत की जानकारी के बाद वह पीड़ित के सबसे नजदीकी संबंधी का अकाउंट नंबर, आधार कार्ड जैसे कागजात इकठ्ठे करते हैं और इसे आगे बढ़ा देता है। जैसे ही पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आती है तो उसकी फाइल बनाकर तहसीलदार को भेजी जाती है। जहां से एसडीएम की अनुमति मिलते ही एडीएम फाइनेंस एंड रेवेन्यू के पास आती है। इसके बाद जिले के कोष से तत्काल पैसा भेजने के आदेश दिए जाते हैं।
अगर लेखपाल न सुनें तो क्या करें
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर लेखपाल बात नहीं सुन रहे या लापरवाही कर रहे हैं और 48 घंटे में पैसा खाते में न आए तो SDM के आगे जाकर सीधे शिकायत कर सकते हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों जगहों पर एसडीएम कार्यालय से मौत पर मुआवजे के लिए आवेदन हो सकता है।
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