
Trademark Registration: ट्रेडमार्क एक पहचानने लायक चिह्न है। यह फ्रेज या शब्द भी हो सकता है, जो किसी खास प्रोडक्ट को बताता है। ट्रेडमार्क कानूनी रूप से किसी खास प्रोडक्ट को अपनी तरह के अन्य उत्पादों से अलग करता है। यह किसी प्रोडक्ट को किसी खास कंपनी से संबंधित के रूप में पहचानता है। इससे ब्रांड की पहचान बनती है। इसपर कंपनी के स्वामित्व को मान्यता मिलती है। ट्रेडमार्क को बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) का एक रूप माना जाता है।
आज के डिजिटल युग में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के माध्यम से अपनी ब्रांड पहचान को सुरक्षित रखना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। चाहे आप कोई स्टार्टअप शुरू कर रहे हों या कोई कारोबार चला रहे हों, आपके लिए अपने प्रोडक्ट का ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। यह काम आप ऑनलाइन कर सकते हैं। आइए जानते हैं यह कैसे होगा।
ट्रेडमार्क न केवल कानूनी और व्यावसायिक सिस्टम्स में प्रोडक्ट्स को अलग करने में मदद करते हैं, बल्कि ये कंज्यूमर के भी काम आते हैं। ट्रेडमार्क का इस्तेमाल उन शब्दों और डिजाइन तत्वों की पहचान करने और सुरक्षित रखने के लिए होता है जो किसी प्रोडक्ट या सर्विस के स्रोत, मालिक या डेवलपर की पहचान करते हैं। वे कॉर्पोरेट लोगो, नारे या किसी उत्पाद का ब्रांड नेम हो सकते हैं।
ट्रेडमार्क से प्रोडक्ट की कॉपी करने से रोकने में मदद मिलती है। जैसे कोका-कोला सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी है। बॉटल से लेकर इसके ग्राफिक्स, लोगो, प्रोडक्ट के नाम का ट्रेडमार्क इसके पास है। दूसरी कंपनी कानूनी तौर पर कोका कोला की तरह दिखने वाला सॉफ्ट ड्रिंक प्रोडक्ट नहीं लाएगी। इसके जैसे नाम का इस्तेमाल नहीं करेगी।
भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 (धारा 2(zb)) के अनुसार, ट्रेडमार्क एक खास मार्कर है। यह बाजार में प्रतिस्पर्धियों से उत्पादों या सेवाओं को अलग करता है। इसमें विभिन्न तत्व जैसे सिंबल, डिजाइन, एक्सप्रेशन या किसी खास ब्रांड से जुड़ी कोई पहचान योग्य विशेषता शामिल होती है।
भारत में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन आपके प्रोडक्ट या सेवाओं के साथ चिह्न का उपयोग करने के आपके अधिकारों की रक्षा करता है। इससे आपके प्रोडक्ट की कॉपी बाजार में लाना मुश्किल होता है। अगर कोई ऐसा करता हो तो आप संबंधित व्यक्ति या कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। सफल ट्रेडमार्क या ब्रांड नाम रजिस्ट्रेशन के बाद आपका ट्रेडमार्क दाखिल करने की तारीख से 10 साल तक वैध रहता है। आप इसे अनिश्चित काल के लिए रिन्यू करा सकते हैं।
प्रोडक्ट मार्क: इस प्रकार का ट्रेडमार्क प्रोडक्ट पर चिपकाया जाता है। इससे उनकी उत्पत्ति की पहचान करने और कंपनी की प्रतिष्ठा बनाए रखने में सहायता मिलती है। क्लास 1-34 के अंतर्गत आने वाले ट्रेडमार्क आवेदनों को आम तौर पर प्रोडक्ट मार्क के रूप में क्लासिफाइड किया जाता है।
सर्विस मार्क: सर्विस मार्क का इस्तेमाल सेवाओं की पहचान करने के लिए किया जाता है। सर्विस मार्क मुख्य रूप से कुछ सेवाओं को देने वाले को दूसरों से अलग करने में मदद करते हैं। क्लास 35-45 के अंतर्गत आने वाले ट्रेडमार्क आवेदनों को अक्सर सेवा पेशकशों से संबंधित सर्विस मार्क माना जाता है।
सामूहिक चिह्न: सामूहिक चिह्न किसी विशेष समूह से जुड़े उत्पादों या सेवाओं की खासियत बताता है। यह व्यक्तियों या संस्थाओं को सामूहिक रूप से वस्तुओं और सेवाओं की सुरक्षा और प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देता है। ट्रेडमार्क रखने वाला कोई एसोसिएशन, सार्वजनिक संस्था या सेक्शन 8 निगम हो सकता है।
सर्टिफिकेशन मार्क: मालिक किसी प्रोडक्ट की उत्पत्ति, बनावट, गुणवत्ता या अन्य जानकारी देने के लिए ये सिंबल जारी करता है। सर्टिफिकेशन मार्क प्रोडक्ट स्टैंडर्ड स्थापित करते हैं। ये कंज्यूमर को विश्वास दिलाते हैं कि वह जिस प्रोडक्ट को खरीद रहा है वह गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करता है। वे आमतौर पर पैकेज्ड सामान, खिलौनों और इलेक्ट्रॉनिक्स में पाए जाते हैं।
आकार चिह्न: आकार चिह्नों का इस्तेमाल किसी प्रोडक्ट के खास आकार को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है, जिससे लोग उसे आसानी से पहचान सकें।
पैटर्न मार्क: पैटर्न मार्क का इस्तेमाल उन उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनमें अनोखे, डिजाइन किए गए पैटर्न होते हैं।
साउंड मार्क: साउंड मार्क उत्पादों या सेवाओं से जुड़ी खास ध्वनियां हैं। इस साउंड लोगो को अक्सर ऑडियो निमोनिक्स के रूप में जाना जाता है। इन्हें आमतौर पर विज्ञापनों की शुरुआत या अंत में रखा जाता है। उदाहरण के लिए IPL की धुन।
ट्रेडमार्क क्लास का चुनाव रजिस्ट्रेशन प्रोसेस का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वस्तुओं और सेवाओं को 45 अलग-अलग वर्गों में ट्रेडमार्क किया जाता है। ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आपको सावधानी से उचित वर्ग चुनना होगा। यदि आपकी कंपनी विभिन्न वर्गों में आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में काम करती है तो आप सभी प्रासंगिक वर्गों के तहत ट्रेडमार्क के लिए आवेदन करें। भारत में, ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ सामान्य रूप से चुने जाने वाले ट्रेडमार्क क्लास नीचे बताए गए हैं।
वर्ग 9: कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स
वर्ग 25: ढकने वाले कपड़े
वर्ग 35: बिजनेस मैनेजमेंट और विज्ञापन
वर्ग 41: शिक्षा और मनोरंजन
अपने किस प्रोडक्ट या सेवा के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराने से पहले महत्वपूर्ण है कि आप दूसरों से अलग ट्रेडमार्क की तलाश करें। इसके लिए आप ऑनलाइन ट्रेडमार्क सर्च टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको पता चलेगा कि आज जो ट्रेडमार्क चाहते हैं वैसा किसी और के पास तो नहीं है।
भारत में ऑनलाइन ट्रेडमार्क कैसे रजिस्टर्ड करें (How to Register Trademark in India Online)
ट्रेडमार्क की खोज करने के बाद अगला चरण ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के पास ब्रांड ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन आवेदन दाखिल करना है। भारत में ऑनलाइन ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया इस प्रकार है:
वियना वर्गीकरण को वियना संहिताकरण भी कहा जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रणाली है जो ट्रेडमार्क के आलंकारिक तत्वों (Figurative Elements) क्लासिफाइड करती है। ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन आवेदन दाखिल करने के बाद ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार ट्रेडमार्क के आलंकारिक तत्वों पर वियना क्लासिफिकेशन लागू करेगा।
वियना कोडिफिकेशन पूरा करने के बाद ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन आवेदन ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के अधिकारी को सौंपा जाएगा। अधिकारी सटीकता के लिए आवेदन का मूल्यांकन करेंगे। वह ट्रेडमार्क जांच रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर अधिकारी आवेदन को स्वीकार करते हैं और ट्रेडमार्क जर्नल प्रकाशन के लिए अनुमति देते हैं। वह आपत्ति भी कर सकते हैं। आपत्ति किए जाने पर आवेदक ट्रेडमार्क अधिकारी के सामने अपनी चिंताओं को व्यक्त कर सकता है। यदि अधिकारी को वजह संतोषजनक लगता है तो ट्रेडमार्क को ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा जाता है।
जब ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार आवेदन स्वीकार कर लेता है तो ट्रेडमार्क को ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशित किया जाता है। साप्ताहिक रूप से प्रकाशित होने वाले इस जर्नल में रजिस्ट्रार को प्राप्त सभी ट्रेडमार्क की जानकारी होती है। अगर किसी को लगता है कि ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन उनके हितों को नुकसान पहुंचा सकता है तो वह आपत्ति कर सकता है। यदि प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर कोई आपत्ति नहीं आई तो ट्रेडमार्क को 12 सप्ताह के भीतर रजिस्टर्ड कर दिया जाता है।
यदि कोई तीसरा पक्ष आवेदन पर आपत्ति करता है तो ट्रेडमार्क सुनवाई अधिकारी सुनवाई का समय तय करेगा। आवेदक और विरोधी पक्ष दोनों को अपनी दलीलें पेश करने का मौका मिलता है। सुनवाई और सबूतों के आधार पर ट्रेडमार्क सुनवाई अधिकारी तय करेगा कि आवेदन स्वीकार किया जाए या नहीं।
अगर ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन आवेदन पर कोई आपत्ति नहीं आई या आपत्ति आने के बाद सुनवाई हुई और फैसला पक्ष में आया तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद ट्रेडमार्क को आधिकारिक तौर पर रजिस्टर्ड माना जाएगा। ऐसा होने पर ® सिंबल को लोगो या ट्रेडमार्क में जोड़ा जा सकता है।
ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड होने के बाद यह 10 साल तक वैध रहता है। ट्रेडमार्क को हर 10 साल में रिन्यू कराना होता है।
| ट्रेडमार्क | कॉपीराइट | पेटेंट | |
| क्या सुरक्षित होता है | कोई भी शब्द, वाक्यांश, सिंबल या डिजाइन जो एक पक्ष के सामान के स्रोत को दूसरे के सामान से अलग करता है। | आविष्कार, जैसे प्रक्रिया, निर्माता, संरचना, पदार्थ की मशीनें और इनमें सुधार। | किताबें, लेख, संगीत, फोटोग्राफी, मूर्तियां, डांस, साउंड रिकॉर्डिंग और फिल्म जैसे काम। |
| सुरक्षा के लिए आवश्यकताएं | एक सिंबल जो किसी निश्चित वस्तु के स्रोत की पहचान करने में सक्षम हो। | नया, मूल्यवान और असामान्य आविष्कार। | कोई भी काम जो पहले नहीं हुआ है। असली होना चाहिए। किसी का कॉपी नहीं। |
| सुरक्षा का समय | जब तक सिंबल का इस्तेमाल कारोबार में किया जाए। | 20 साल। | लेखक के जीवन भर+ 70 साल। |
| क्या अधिकार मिलते हैं | सिंबल इस्तेमाल करने का अधिकार। दूसरों को उसके जैसे सिंबल का उपयोग करने से रोकने का अधिकार, जिससे प्रोडक्ट या सर्विस की उत्पत्ति के बारे में भ्रम पैदा हो सके। | पेटेंट प्राप्त आविष्कार के मैन्युफैक्चरिंग, बेचने या आयात से दूसरों को रोकने का अधिकार। | कॉपीराइट किए गए कार्यों में उनके पुनरुत्पादन, रचनात्मक कार्य, सर्कुलेशन, पब्लिक परफॉर्मेंस और डिस्पेल करने का अधिकार। |
ट्रेडमार्क एक खास मार्कर है। यह प्रोडक्ट या सर्विस को उसी तरह के दूसरे प्रोडक्ट या सर्विस से अलग करता है। इसमें किसी खास ब्रांड से जुड़े सिंबल, डिजाइन, एक्सप्रेशन या पहचान योग्य खासियत शामिल हो सकती हैं।
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन से किसी कंपनी के सामान या सेवाओं को अलग पहचान मिलती है। इससे कॉपी किए जाने की स्थिति ऐसा रोकने के कानूनी अधिकार मिलते हैं। यह ब्रांड पहचान बढ़ाता है।
भारत में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन व्यक्तियों, कंपनियों, स्वामित्व वाली फर्मों, भागीदारी, एलएलपी, भारतीय और विदेशी कंपनियों, ट्रस्टों और समाजों द्वारा कराया जा सकता है।
भारत में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में उत्पाद चिह्न, सेवा चिह्न, सामूहिक चिह्न, प्रमाणन चिह्न, आकार चिह्न, पैटर्न चिह्न और ध्वनि चिह्न शामिल हैं।
अपने सामान या सेवाओं को वर्गीकृत करने वाले उचित वर्ग का सावधानीपूर्वक चुनाव करना होता है। सामान्य वर्गों में क्लास 9 (सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स), क्लास 25 (कपड़े), क्लास 35 (बिजनेस मैनेजमेंट) और क्लास 41 (शिक्षा) शामिल हैं।
ट्रेडमार्क सर्च बाजार में पहले से मौजूद ट्रेडमार्क की पहचान करके आपके ब्रांड की खासियत तय करने में मदद करती है।
आवेदक का नाम, व्यवसाय का प्रकार, व्यवसाय के उद्देश्य, ब्रांड/लोगो/स्लोगन का नाम और पंजीकरण पता।
पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट प्रमाणपत्र, निगमन प्रमाणपत्र और साझा प्रमाणपत्र।