डिस्चार्ज के बाद अब चुटिकयों में होगा क्लेम सैटलमेंट, जानें हेल्थ बीमा के फायदेमंद बदलाव

हेल्थ इंश्योरेंस में क्लेम सैटलमेंट की समस्या को दूर करने के लिए बीमा नियामक (IRDA) ने नियमों में कुछ बदलाव किया है। इसके तहत अब मरीज डिस्चार्ज होने के सिर्फ 3 घंटे के भीतर ही क्लेम सैटलमेंट हो सकेगा।

Ganesh Mishra | Published : May 30, 2024 2:45 PM IST / Updated: May 30 2024, 08:16 PM IST

Health Insurance New Rules: हेल्थ इंश्योरेंस आज के दौर में सबसे बड़ी जरूरत है। इमरजेंसी में तबीयत बिगड़ने पर ये हमें कई तरह की परेशानियों से बचाता है। हालांकि, कई बार हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सैटल करने में बीमा कंपनियां कई बार तरह-तरह की दिक्कतें बताती हैं, जिससे लोग काफी परेशान हो जाते हैं। क्लेम सैटलमेंट की समस्या को दूर करने के लिए बीमा नियामक (IRDA) ने नियमों में कुछ बदलाव किया है। इसके तहत अब सिर्फ 3 घंटे के भीतर ही क्लेम सैटलमेंट हो सकेगा।

1- बीमा कंपनी से 1 घंटे के भीतर मिलेगा अप्रूवल

इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस पेमेंट के नियमों (Cashless Payment Rule) में बदलाव किया है, जिसका सीधा फायदा बीमाधारकों को मिलेगा। साथ ही मरीज का इलाज भी समय से शुरू हो सकेगा। नए नियमों के तहत बीमा कंपनियां अब अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए 1 घंटे के भीतर अप्रूवल देंगी। इससे मरीज का इलाज जल्द से जल्द शुरू हो सकेगा।

2- तीन घंटे के भीतर होगा क्लेम सेटल

अब तक कैशलेस इंश्योरेंस के तहत इलाज कराने के बाद क्लेम सेटलमेंट के नाम पर लोगों को काफी परेशान किया जाता था। लेकिन अब जैसे ही मरीज के डिस्चार्ज की रिक्वेस्ट हॉस्पिलट बीमा कंपनियों को भेजेंगे, उन्हें उसके 3 घंटे के भीतर अप्रूवल देना होगा। मतलब अब मरीज के डिस्चार्ज होने की रिक्वेस्ट के 3 घंटे के अंदर ही क्लेम सेटलमेंट करना होगा।

3- कागजी कार्रवाई का झंझट ही खत्म

IRDAI के नए नियम के तहत अब पॉलिसीहोल्डर्स को तमाम तरीके के डॉक्यूमेंटेशन से छुटकारा मिल जाएगा। साथ ही क्लेम सेटलमेंट के लिए किसी भी तरह का कोई डॉक्यूमेंट सबमिट नहीं करना होगा, बल्कि बीमा कंपनियों को इन्हें संबंधित अस्पतालों से खुद ही कलेक्ट करना होगा।

4- बीमा कंपनियां नहीं लगा सकेंगी हिडन शर्तें

बीमा कंपनियां कई बार पॉलिसी में ऐसी हिडन शर्तें रखती हैं, जिनके बारे में ग्राहकों को मालूम नहीं होता। IRDA के मुताबिक, अब इंश्योरेंस कंपनियों को ग्राहकों को एक कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट देनी होगी, जिसमें पॉलिसी की हर छोटी-बड़ी डिटेल के अलावा बीमा राशि कितनी है, पॉलिसी कैशलेस है या नहीं, कवरेज की डिटेल, क्लेम के दौरान होने वाले डिडक्शन आदि की जानकारी देनी होगी।

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