नहीं बढ़ेगी लोन की EMI...रिजर्व बैंक ने 6.5% बनाए रखा Repo Rate, CRR में कटौती

RBI ने मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखा है। इससे आम आदमी को EMI से राहत मिलेगी। फिलहाल महंगाई पर काबू पाना RBI का मुख्य लक्ष्य है। 

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में हुए फैसलों का ऐलान किया। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इसके साथ ही रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखा है। रेपो रेट में किसी भी तरह का बदलाव न होने से आम लोगों के लिए राहत की खबर है। यानी उनके लोन की EMI नहीं बढ़ेगी। बता दें कि रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था। तब इसमें 25 बेसिस पॉइंट का इजाफा कर इसे 6.25% से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया गया था। इसके बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। 

महंगाई को काबू में रखने पर फोकस

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा- ज्यादातर मेंबर्स ने फैसला किया है कि रेपो रेट को जस का तस बनाए रखा जाए। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने तय किया है कि सारा फोकस महंगाई को उसके तय टारगेट पर लाने पर किया जाएगा। इस वजह से अभी रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की जा रही है और इसे पहले की तरह 6.5% पर बरकरार रखा गया है। बता दें कि MPC में 6 मेंबर हैं, जिनमें 4 रेपो रेट में बदलाव के पक्ष में नहीं थे। MPC के सदस्यों में 3 केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव रंजन हैं। वहीं, सरकार ने 1 अक्टूबर को कमेटी मेंसौगत भट्टाचार्य, नागेश कुमार और राम सिंह सहित तीन नए लोगों को नियुक्त किया है।

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CRR में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भले ही रेपो रेट में बदलाव नहीं किया लेकिन उन्होंने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की। इसके साथ ही अब ये 4.5 प्रतिशत से घटाकर 4% पर आ गई है। सीआरआर में कमी से बैंको को काफी राहत मिलेगी। अब उनके पास नगदी की कमी नहीं होगी। इससे पहले सीआरआर को अक्टूबर 2022 में बदला गया था। बता दें कि CRR घटने से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपए का कैश फ्लो बढ़ेगा।

क्या होता है CRR? 

बता दें कि हर एक बैंक को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा RBI के पास रिजर्व के तौर पर रखना पड़ता है, ताकि उस पैसे का इस्तेमाल इमरजेंसी में किया जा सके। रिजर्व बैंक जिस दर पर ये पैसा अपने पास रखता है, उसे ही कैश रिजर्व रेशियो या सीआरआर कहते हैं। मतलब अभी RBI ने इसे घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है तो अब बैंकों को अपनी कुल जमा पूंजी का इतना हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होगा। पहले ये 4.5% था। यानी अब बैंक ज्यादा कैश अपने पास बचा सकेंगे। 

कैसे रेपो रेट से काबू की जाती है महंगाई?

RBI का एक सबसे बड़ा काम देश में महंगाई को कंट्रोल में रखना भी है। इसके लिए वह कई तरह के टूल्स का इस्तेमाल करता है, लेकिन इनमें सबसे अहम रेपो रेट है। रेपो रेट वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक दूसर बैंकों को उधार देता है। जब महंगाई अनुमान से ज्यादा हो जाती है तो रिजर्व बैंक रेपो रेट को बढ़ाकर बाजार में लिक्विडिटी यानी मनी फ्लो कम कर देता है। दरअसल, रेपो रेट बढ़ने से बैंकों को मिलने वाला पैसा महंगा हो जाता है। इससे बैंक भी लोन की दरें बढ़ा देते हैं। लोन महंगा होने से मार्केट में कैश फ्लो कम हो जाता है, जिससे लोग की परचेजिंग पावर घट जाती है और डिमांड कम होने से महंगाई काबू में रहती है।

ये भी देखें:

Explainer: क्या हैं रेपो रेट-रिवर्स रेपो रेट, दोनों कैसे करते हैं काम

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