खेत बेचकर शेयर में लगा दी गाढ़ी कमाई, फिर किसान का बेटा कैसे बना 800 Cr का मालिक

महाराष्ट्र के एक किसान के बेटे ने शेयर बाजार में निवेश करके 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति बनाई है। उन्होंने 1980 में विप्रो के शेयरों में सिर्फ 10,000 रुपए का निवेश किया था और 40 साल तक अपने निवेश को बनाए रखा। अब वो अरबपति हैं। 

Ganesh Mishra | Published : Sep 30, 2024 4:28 PM IST / Updated: Oct 01 2024, 04:18 PM IST

बिजनेस डेस्क। शेयर बाजार में सही टेक्नीक के साथ थोड़ा धैर्य रखा जाए तो बंदा क्या नहीं कर सकता। ऐसा ही कुछ हुआ महाराष्ट्र के जलागांव जिले के अमलनेर तहसील के रहने वाले मोहम्मद अनवर अहमद के साथ। इन्होंने महज 10,000 रुपए लगाकर 800 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है। अनवर अहमद की कहानी शेयर बाजार को सीख और समझ रहे लोगों के साथ ही उन तमाम निवेशकों के लिए भी इंस्पायर करने वाली है, जो बाजार में आए दिन ट्रेडिंग करते हैं।

80,000 में बेच दिया अपने हिस्से का खेत

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अमलनेर के रहने वाले मोहम्मद अनवर और उनके 4 भाई अपने पिता के साथ पारिवारिक खेती-बाड़ी का काम करते थे। इसी बीच, एक दिन सिर से पिता का साया उठ गया, जिसके बाद पुश्तैनी जमीन कर चार हिस्सों में बंटवारा हो गया। अनवर के हिस्से जो खेत आए, उसमें से उन्होंने एक बेच दिया, जिसके बदले उन्हें 80,000 रुपए मिले। 

चाय पीते-पीते आया शेयरों में पैसा लगाने का Idea

1980 में अनवर अहमद की उम्र तकरीबन 27 साल थी। वो शादीशुदा थे और उनके 2 बच्चे भी थे। एक दिन अनवर अमलनेर की एक दुकान पर चाय पी रहे थे। इसी दौरान वहां एक यंग स्टॉक ब्रोकर आया। बातों-बातों में उसने अनवर से पूछा-क्या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं, जिसने नई कंपनी के शेयर खरीदे हैं। चूंकि अनवर शेयर बाजार से पैसा कमाने के लिए बहुत एक्साइटेड थे, सो उन्होंने आधे घंटे तक चली बातचीत में उस ब्रोकर से शेयर बाजार और उस नई कंपनी की काफी कुछ जानकारी ले ली।

Wipro के शेयर में लगा दिए 10,000 रुपए

इसके बाद अनवर अहमद ने कुछ और रिसर्च की और खेत बेचने से जो पैसा मिला था, उसी में से 10 हजार रुपए ब्रोकर की मदद से विप्रो (Wipro) कंपनी के 100 शेयर खरीद लिए। उस जमाने में शेयर बाजार में 10,000 रुपए लगाना थोड़ा रिस्की माना जाता था। बता दें कि 1947 में अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हुसैन हशम प्रेमजी ने अनवर के गांव अमलनेर में ही घी और वनस्पति बनाने के लिए एक नया प्लांट लगाया था। वही कंपनी आज विप्रो के नाम से जानी जाती है। पहले इसका नाम वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड था और ये कंपनी अनवर अहमद के निवेश से एक साल पहले ही स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई थी। यही वजह थी कि वो स्टॉक ब्रोकर अमलनेर में किसी ऐसे निवेशक की तलाश में था, जिसने विप्रो में निवेश किया हो। 

40 साल तक नहीं बेचा एक भी शेयर

अनवर अहमद ने न सिर्फ विप्रो के 100 शेयर खरीदे, बल्कि समझदारी दिखाते हुए उनमें से एक को भी नहीं बेचा। यहां तक कि शेयर बाजार में कई उतार-चढ़ाव के बाद भी उन्होंने इन शेयरों को 40 साल से भी ज्यादा समय तक अपने पास रखा। आज उनके शेयरों की कीमत 800 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। इतना ही नहीं, 2017 तक अनवर को सिर्फ क्यूमलेटिव डिविडेंड से ही 118 करोड़ रुपये मिल चुके हैं।

3 चीजें, जिन्होंने मोहम्मद अनवर को बनाया अरबपति

अनवर की कहानी बताती है कि शेयर बाजार में सफलता के लिए धैर्य के साथ ही लॉन्गटाइम इन्वेस्टमेंट का नजरिया बेहद जरूरी है। एक निवेशक के लिए अनुशासन, साहस और विपरीत परिस्थितियों में भी दिमाग को शांत रखने की क्षमता बहुत जरूरी होती है। बाज़ार में गिरावट आने पर अनवर आसानी से अपने शेयर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते थे। लेकिन उन्होंने विप्रो की लॉन्गटाइम कैपेबिलिटी पर भरोसा जताते हुए अपना निवेश बनाए रखा। इससे पता चलता है कि वो एक धैर्यवान और डिसिप्लिन वाले इन्वेस्टर हैं, जिन पर बाजार के उतार-चढ़ाव का कोई खास असर नहीं होता है।

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