भारत में जिंक की प्रति व्यक्ति खपत करीब आधा किलोग्राम है, जो ग्लोबल एवरेज 4Kg से काफी कम है। जबकि अमेरिका, यूरोप और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों में यह 6-7 किलो तक जा सकता है।
बिजनेस डेस्क : सोना-चांदी में निवेश करने वालों की मौज हो गई है। दोनों ही धातुएं तेजी से ग्रोथ कर रही हैं। कुछ ही सालों में गोल्ड-सिल्वर से जबरदस्त रिटर्न मिला है। हालांकि, कुछ धातुएं ऐसी भी हैं, जिनमें भविष्य देखा जा रहा है। इन्हीं में एक जिंक (Zinc) भी है। माना जा रहा है कि जिस तरह स्टील समेत इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में जबरदस्त निवेश चल रहा है, उससे आने वाले 5 से 10 सालों में भारत में जिंक की मांग दोगुनी हो सकती है। यह अनुमान इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन ने जताया है। रविवार को एसोसिएशन ने जिंक में बेहतर फ्यूचर होने की बात कही है।
जिंक से बनेगा पैसा
जिंक यानी जस्ता का ज्यादातर उपयोग स्टील को जंग से बचाने के लिए किया जाता है, इसलिए भारत में इसकी मांग बहुत हद तक स्टील मार्केट की ग्रोथ पर निर्भर करता है। इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन के ग्लोबल डायरेक्टर मार्टिन वान लियूवेन ने रविवार को कहा कि 'अगले 5-10 सालों में जिंक की डिमांड दोगुनी तक बढ़ सकती है। भारत में जिंक का मार्केट मौजूदा समय में करीब 800 से 1,000 टन सालाना है। जिस तरह से भारत विकास कर रहा है, उस आधार पर कहा जा सकता है कि जिंक में शानदार अवसर है।'
स्टील में होगा जबरदस्त निवेश
लियूवेन ने कहा कि 'भारत में अतिरिक्त स्टील कैपेसिटी में भारी निवेश देखने को मिल सकता है। इस्पात को अभी भी गैल्वेनाइज्ड कोटिंग्स से प्रोटेक्ट करने की जरूरत है। नई गैल्वनाइजिंग लाइन के लिए कई योजनाएं और निवेश चल रहे हैं, इसलिए भारत में जस्ते की मांग बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत में जिंक की मौजूदा मांग को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी इसे इस्तेमाल करने वाले लोग कम हैं लेकिन इसमें बड़ा अवसर है।'
भारत में जिंक का कितना इस्तेमाल
मार्टिन वान लियूवेन के मुताबिक, 'भारत में जिंक की प्रति व्यक्ति खपत करीब आधा किलोग्राम है, जो ग्लोबल एवरेज 4Kg से काफी कम है। जबकि अमेरिका, यूरोप और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों में यह 6-7 किलो तक जा सकता है। चालू कैलेंडर साल के लिए जिंक सेक्टर में तेजी देखने को मिल सकती है। चूंकि दुनिया ग्रीन एनर्जी की तरफ जा रही है तो सौर फोटोवोल्टिक में शानदार इजाफा देखने को मिल रहा है। जिससे जिंक से काफी उम्मीदें हैं।'
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