पांच दिनों में सेंसेक्स 3800 अंकों से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी पांच दिनों में 1159 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है। पांच दिनों में बाजार निवेशकों को 20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
बिजनेस डेस्क। सोमवार को शेयर बाजार बंद होने तक सेंसेक्स 1550 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। जबकि निफ्टी 50 468 अंकों की गिरावट देखने को मिली है। जिसकी वजह से शेयर बाजार निवेशकों को एक ही दिन में 9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। वैसे पांच दिनों में सेंसेक्स 3800 अंकों से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी पांच दिनों में 1159 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है। पांच दिनों में बाजार निवेशकों को 20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। आइए आपको भी उन पांच कारणों के बारे में बताते हैं जिसकी वजह से निवेशकों इतना मोटा नुकसान हुआ है।
ग्लोबल मार्केट में गिरावट
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चिंताओं के बीच ग्लोबल इक्विटी मार्केट में गिरावट के कारण दुनियाभर में बिकवाली देखने को मिली है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपनी अगली पॉलिसी मीटिंग 25-26 जनवरी को करेगा। विश्लेषकों को 2022 में मजबूत लेकिन धीमी वृद्धि, उच्च मुद्रास्फीति और त्वरित फेड नीति सामान्यीकरण की उम्मीद है। उच्च ब्याज दरों की संभावनाओं की वजह से अमेरिकी स्टॉक इंडेक्स ने 21 जनवरी को दो साल में सबसे खराब सप्ताह देखने को मिला था।
टेक शेयर में गिरावट
पिछले कुछ महीनों में हाई वैल्यू पर शेयर बाजार में लिस्टिड होने वाली नई फर्मों ने निवेशकों की धारणा को कमजोर कर दिया है। खुदरा और हाई नेटवर्थ इंवेस्टर्स वाले निवेशकों ने इन शेयरों पर बड़ा दांव लगाया, लेकिन फेड द्वारा इस साल कई दरों में बढ़ोतरी की संभावना ने धारणा को खराब कर दिया है। वैश्विक स्तर पर भी खासकर अमेरिका में टेक सेक्टर दबाव में है। भारत में, One97 Communications Paytm, CarTrade, PB Fintech, और Fino Payments Bank के शेयर अपने लिस्टिंग प्राइस से 10 से 50 फीसदी के बीच फिसल गए हैं। Zomato और Nykaa पैरेंट FSN ई-कॉमर्स 2021 में शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने के बाद अपने उच्चतम स्तर से 21 प्रतिशत गिर गए हैं।
कोविड की थर्ड वेव का असर
भारत में कोविड के बढ़ते मामले, जो पिछले कुछ दिनों से 3 लाख से ऊपर बने हुए हैं, भी चिंता का कारण बन रहे हैं। कई राज्यों ने प्रतिबंधों की घोषणा या विस्तार किया है। विश्लेषकों के अनुसार आने वाले दिनों आर्थिक गतिविधियों में बाधा आ सकती है।
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लागत बढ़ने से कमाई में कमी
इस कमाई के मौसम के शुरुआती रुझान संकेत देते हैं कि उच्च इनपुट लागत एक बगबियर बनी हुई है। प्रॉफिट मार्जिन में नरमी देखने को मिल रही है। भले ही कमाई ज्यादातर अनुमानों के अनुरूप रही हो। विश्लेषकों के अनुसार कोविड-19 मामलों में इजाफा और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का मतलब है कि मौजूदा तिमाही में भी प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव रहेगा।
डिमांड ना बढ़ना
बाजार में गिरावट की एक और वजह है और है डिमांड ना बढ़ना। जिसे त्योहारी सीजन से अपेक्षित बढ़ावा नहीं मिला। बढ़ी हुई महंगाई, बेमौसम बारिश के कारण खरीफ (मानसून) की फसल की कटाई में देरी, और दूसरी कोविड लहर के अवशेषों का तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान मांग पर असर पड़ा है।