सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज टाटा और सायरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) विवाद को लेकर आखिरी सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने 8 दिसंबर का दिन खास तौर पर इस मामले की सुनवाई के लिए तय किया है।
बिजनेस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज टाटा (Tata) और सायरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) विवाद को लेकर आखिरी सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने 8 दिसंबर का दिन खास तौर पर इस मामले की सुनवाई के लिए तय किया है। यह मामला 2 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स (Tata Sons) के चेयरमैन पद से हटाने को गलत बताया था। कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने सायरस मिस्त्री को दोबारा चेयरमैन पद पर बहाल कराने का आदेश जारी किया था। इसके खिलाफ टाटा सन्स सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
टाटा सन्स से क्यों हटाया गया मिस्त्री को
टाटा ग्रुप ने 24 अक्टूबर, 2016 को सायरस मिस्त्री तो चेयरमैन पद से हटा दिया था। उनकी जगह रतन टाटा (Ratan Tata) को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। टाटा सन्स ने सायरस मिस्त्री के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे और कहा था कि उनका काम करने का तरीका ग्रुप के तरीके से मेल नहीं खा रहा है। मिस्त्री को हटाए जाने के बाद 12 जनवरी, 2017 को एन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनाए गए। टाटा के 150 साल के इतिहास में सायरस मिस्त्री छठे ग्रुप चेयरमैन थे।
कब बने सायरस मिस्त्री टाटा सन्स के चेयरमैन
दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने टाटा चेयरमैन पद से रिटायरमेंट ले लिया था। इसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया। मिस्त्री टाटा सन्स के सबसे युवा चेयरमैन थे। मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18.4 फीसदी की हिस्सेदारी है। वे टाटा ट्र्स्ट के बाद टाटा सन्स में दूसरे बड़े शेयर होल्डर्स हैं। टाटा सन्स में टाटा ट्रस्ट की हिस्सेदारी 66 फीसदी है। टाटा सन्स से मिस्त्री परिवार 1936 से ही जुड़ा हुआ है।
4 साल से ट्रिब्यूनल और कोर्ट में चल रहा है मामला
टाटा सन्स के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को हटाया गया था। उन्होंने दिसंबर 2016 में कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में इसके खिलाफ याचिका दायर की। जुलाई 2018 में यह याचिका खारिज कर दी गई और टाटा सन्स के फैसले को सही बताया गया। इसके खिलाफ सायरस मिस्त्री कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में गए। यहां से फैसला मिस्त्री के पक्ष में हुआ। दिसंबर 2019 में कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री को टाटा सन्स का चेयरमैनन बनाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ जनवरी, 2020 में टाटा सन्स ने जनवरी, 2020 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की। तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।