क्रेडिट कार्ड से करते हैं ट्रांजेक्शन? तो पहले जान लें क्या होता है मिनिमम ड्यू अमाउंट

क्रेडिट कार्ड अब काफी लोग इस्तेमाल करने लगे हैं। शहर से लेकर गांव तक लोग इससे ट्रांजेक्शन भी कर रहे हैं। लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले जान लें मिनिमम ड्यू अमाउंट का पूरा खेल। कई बार यह आपके कर्ज को बढ़ा भी सकता है।  

Moin Azad | Published : Jun 12, 2022 10:28 AM IST / Updated: Apr 05 2023, 02:09 PM IST

नई दिल्लीः आज के वक्त में लोग क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का इस्तेमाल काफी ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में मेट्रो सिटी से लेकर छोटे शहर और गांव में भी लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने लगे हैं। क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में बहुत सारी बातें ध्यान रखनी होती हैं। क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में सबसे अहम होता है मिनिमम अमाउंट ड्यू, जो हर क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में देखने को मिलता है। कई बार लोगों को लगता है कि कम से कम उतना पैसा चुका दें तो काम चल जाएगा। आइए समझते हैं मिनिमम अमाउंट ड्यू क्या होता है।

बिल का छोटा सा हिस्सा है मिनिमम अमाउंट ड्यू: मिनिमम अमाउंट ड्यू पूरे क्रेडिट कार्ड बिल का एक छोटा सा हिस्सा होता है। आमतौर पर यह हिस्सा महज 5 फीसदी ही होता है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां स्टेटमेंट पर कुल बिल, मिनिमम अमाउंट ड्यू और ड्यू डेट लिखती हैं। कई बार लोग मिनिमम अमाउंट ड्यू का भुगतान करने की सोचते हैं और उन्हें लगता है कि इससे उन पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। अगर कोई शख्स मिनिमम ड्यू अकाउंट चुका देता है तो उसे लेट पेमेंट चार्ज का भुगतान नहीं करना होगा। हालांकि, इसके बाद आपका कर्ज तेजी से बढ़ सकता है, क्योंकि ना चुकाए गए बिल पर रोज के हिसाब से फाइनेंस चार्ज लगता है। यानी अगर आपका बिल 50 हजार का है और आपका मिनिमम अमाउंट ड्यू 2500 रुपये है तो सिर्फ ढाई हजार का भुगतान करने से आपका फायदा नहीं होगा। भले ही आप पर लेट पेमेंट चार्ज ना लगे, लेकिन हर रोज भारी-भरकम ब्याज आपके बिल पर लगेगा, जिससे आपको भारी नुकसान होगा।

बिल चुकाने में ना करें देरी : अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों क्रेडिट कार्ड कंपनियां बिल के भुगतान पर खूब रिवॉर्ड प्वाइंट देती हैं? आखिर इससे इन कंपनियों का क्या फायदा होता है? आखिर ये कंपनियां कमाई कैसे करती हैं? मिनिमम अमाउंट ड्यू का खेल भी इन कंपनियों की कमाई का एक जरिया होता है। आप ड्यू डेट से एक भी दिन लेट हुए तो आप पर भारी-भरकम ब्याज लगता है, जो 48 फीसदी तक हो सकता है। दिक्कत की बात तो ये है कि यह ब्याज हर दिन के हिसाब से लगता है। यानी आप अपना बिल चुकाने में जितनी देरी करते हैं, क्रेडिट कार्ड कंपनियों को उतना ही अधिक फायदा होता है।

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