NDA टॉपर की कहानी...कैप्टन विक्रम बत्रा और मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को मानते हैं हीरो, उन्हीं की कहानियां पढ़कर मिली प्रेरणा

पिता चाहते थे कि बेटा बड़ा अफसर बने। इस वजह से गांव छोड़कर गुरुग्राम चले आए थे। अनुराग का एडमिशन एक प्राइवेट स्कूल में करवाया था। एनडीए का फॉर्म डालते वक्त बेटे का हौसला बुलंद था और आज उनसे पूरी फैमिली ही नहीं गांव का मान बढ़ा दिया है।

करियर डेस्क : अनुराग सांगवान (Anurag Sangwan) ने 2022 में हुए NDA एग्जाम में टॉप किया है। वे हरियाणा के चरखी दादरी के चंदेनी गांव के रहने वाले हैं। बेटे की इस सफलता पर पूरा परिवार और गांव जश्न मना रहा है। अनुराग के दादा-दादी रिटायर्ड अध्यापक हैं और उन्हीं की प्रेरणा ने अनुराग को एनडीए का टॉपर बना दिया है। अनुराग के पिता मानेसर में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जबकि मां प्राइवेट स्कूल में मैथ्य की टीचर हैं। इधर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अनुराग से फोन पर बातचीत की और बधाई दिया। आइए जानते हैं अनुराग सांगवान के टॉपर बनने की कहानी...

कैप्टन विक्रम बत्रा है अनुराग के हीरो

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अनुराग सांगवान गुरुग्राम के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करते हैं. सितंबर 2022 में उन्होंने NDA एंट्रेंस एग्जाम क्लीयर किया और जनवरी 23 में एसएसबी की ट्रेनिंग की। अनुराग बताते हैं कि एक बार स्कूल प्रिंसिपल ने उन्हें समझाते हुए कहा था बोर्ड एग्जाम के साथ एनडीए की तैयारी कठिन है। दो नाव की सवारी करने से डूबने का खतरा ज्यादा रहता है लेकिन अनुराग को खुद पर भरोसा था और उन्होंने दो नावों पर पैर रखकर देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक एनडीए न सिर्फ निकाला बल्कि टॉपर भी बने। कैप्टन विक्रम बत्रा और मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को अनुराग अपना हीरो मानते हैं। उन्हीं की कहानियां पढ़-पढ़कर उन्हें एनडीए में जाने का मन बनाया।

दोस्तों से कहा था NDA टॉप करूंगा

अनुराग एक बार दोस्तों से बातचीत कर रहे थे, तभी उन्होंने मजाक-मजाक में कहा था कि देख लेना एक दिन एनडीए एग्जाम टॉप करके दिखाऊंगा। उनका यह वादा पूरा भी हुआ। उन्होंने कड़ी मेहनत की और लक्ष्य पर टिके रहे। आज वे एनडीए के टॉपर हैं।

बेटे को अफसर बनाने पिता ने छोड़ा गांव

चरखी दादरी फौजियों का गांव माना जाता है। यहां के 35 युवा सेना में कमीशन पाकर देश सेवा करने पहुंचे हैं और आज ऊंचे पदों पर हैं। बेटे की इस सफलता पर गांव वाले काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि अनुराग के दादा-दादी गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे। जब वे रिटायर हुए, तब भिवानी चले गए। पिता की चाहत थी कि बेटा बड़ा अफसर बने, इसी के चलते अनुराग के पिता जीवक सांगवान परिवार के साथ गुरुग्राम चले गए और आज उनका यह सपना पूरा हुआ है।

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