अंबेडकर जयंती 2023 : 9 लैंग्वेज जानते थे बाबा साहब, पास में थीं 32 डिग्रियां, जानें उनकी लाइफ के अननोन फैक्ट्स
आजाद भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने हमेशा समाज में कमजोर लोगों की आवाज उठाई। उन्होंने कमजोर वर्ग के अधिकारों की बात ऊपर तक पहुंचाई और उन्हें आगे ले आने के लिए कई प्रयास किए।
Satyam Bhardwaj | Published : Apr 11, 2023 4:29 PM IST / Updated: Apr 14 2023, 09:00 AM IST
करियर डेस्क : 14 अप्रैल को संविधान के 'वास्तुकार' बाबा साहब अंबेडकर (BR Ambedkar Jayanti 2023) की जयंती है। 1891 में मध्य प्रदेश के महू में उनका जन्म हुआ था। पिता रामजी मालोजी सकपाल और माता भीमाबाई की बाबा साहब 14वीं संतान थे। उनका पूरा जीवन दलितों गरीबों और समाज के शोषित लोगों को आगे लाने में बीता। उनने जुड़े कई पहलू ऐसे हैं, जिन्हें आज भी बहुत कम लोग ही जानते हैं। बीआर अंबेडकर की जयंती पर आइए जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़े ऐसे ही दिलचस्प किस्से...
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर 9 लैंग्वेज जानते थे। उन्हें देश-विदेश के कई यूनिवर्सिटीज से कुल 32 डिग्रियां मिली थीं। 1990 में मरणोपरांत बाबा साहब को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
बाबा साहब भीम राव अंबेडकर का असली नाम अंबावाडेकर था। स्कूल में उनके पिता ने यही नाम लिखवाया था। एक टीचर ने उनका नाम बदलकर 'अंबेडकर' रखने की सलाह दी। इसे बाबा साहब ने अपनाया और इसी नाम से जाने गए।
बाबा साहब अंबेडकर का परिवार महार जाति से आता था। उस वक्त यह समाज निचले तबके से आता था। पिता ब्रिटिश सेना की महू छावनी में सूबेदार थे। बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव के बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई शुरू की और कठिन हालातों से गुजरते हुए मास्टर्स तक की डिग्री हासिल की।
इतिहास के मुताबिक, अंबेडकर को स्कूल में काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा झेलना पड़ा। उन्हें और बाकी अस्पृश्य बच्चों को स्कूल में अलग से बैठाया जाता था। वह खुद से पानी नहीं पी सकते थे। उन्हें दूसरे बच्चे ऊपर से पानी डालते थे।
बाबा साहब की शादी महज 15 साल में ही कर दी गई थी। जिस लड़की रमाबाई से उनका विवाह हुआ था, उनकी उम्र उस वक्त सिर्फ 9 साल ही थी।
1907 में बाबा साहब ने मैट्रिक पास की और 1908 मेंएलफिंस्टन कॉलेज में एडमिशन लिया। 1912 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र में उन्होंने ग्रेजुएशन कंप्लीट किया।
बाबा साहब 22 साल की उम्र में ही पोस्ट ग्रेजुएशन करने अमेरिका जले गए। वहां पढ़ाई करते हुए बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव थर्ड से उन्हें हर महीने स्कॉलरशिप मिलती थी।
दलितों की आवाज उठाने के लिए बाबा साहब 'मूक नायक', 'बहिष्कृत भारत' और 'जनता' नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालते थे। 1927 से उन्होंने छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ आंदोलन भी किया था। इस आंदोलन की शुरुआत महाराष्ट्र में रायगढ़ के महाड से हुई थी।
1952 में जब पहला आम चुनाव हुआ तब बाबा साहब अंबेडकर बॉम्बे नॉर्थ सीट से मैदान में उतरे लेकिन चुनाव हार गए थे। हालांकि वे 2 बार राज्यसभा सांसद रहे थे।
संसद में हिंदू कोड बिल ड्राफ्ट पेश करना चाह रहे थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया था। जिससे नाराज होकर उन्होंने तत्कालीन मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इस ड्राफ्ट में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता से जुड़ी बातें थी।
इतिहासकारों के मुताबिक, बाबा साहब अंबेडकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे। यही अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था।