एडाप्टिव लर्निंग क्या है? NEET-JEE की तैयारी में कैसे है मददगार

NEET और JEE जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं की तैयारी में एडाप्टिव लर्निंग एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह प्रत्येक छात्र की सीखने की स्पीड और कैपिसिटी के अनुसार स्टडी प्लान बनाता है, जिससे तैयारी अधिक प्रभावी होती है और सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

Anita Tanvi | Published : Aug 28, 2024 8:16 AM IST / Updated: Aug 28 2024, 01:49 PM IST

What is adaptive learning: NEET और JEE की तैयारी चुनौतीपूर्ण होती है, क्योंकि इनका सिलेबस विशाल होता है और कंपीटिशन बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में एडाप्टिव लर्निंग एक ऐसा टूल है जो तैयारी के तरीके को पूरी तरह से बदल सकता है। यह विधि इंडिविजुअल स्टडी प्लानिंग के माध्यम से हर छात्र की विशेष जरूरतों को पूरा करती है, जिससे तैयारी अधिक प्रभावी हो जाता है और सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

एडाप्टिव लर्निंग क्या है?

Latest Videos

एडाप्टिव लर्निंग एक इंडिविजुअल स्टडी टेक्निक है जो पारंपरिक शिक्षण विधियों से काफी अलग होती है। जहां सभी छात्रों के लिए सिलेबस समान रहता है, एडाप्टिव लर्निंग प्रत्येक छात्र की ताकत, कमजोरियों और प्रदर्शन के आधार पर स्टडी टेक्निक को अच्छी तरह से एडजस्ट करती है। यह तरीका छात्रों को उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है जहां उन्हें सबसे ज्यादा कठिनाई होती है, जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं।

NEET और JEE की तैयारी में एडाप्टिव लर्निंग कैसे है मददगार

NEET और JEE भारत की सबसे प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं हैं, जिसकी तैयारी में बहुत समय और फोकस की जयरत होती है। उच्च प्रतिस्पर्धा होने के कारण, जेनरल स्टडी प्लानिंग काफी नहीं होती। एडाप्टिव लर्निंग से प्रत्येक छात्र की विशेष जरूरतों को पूरा किया जाता है। छात्रों की ताकत और कमजोरियों का आकलन करके, यह विधि उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है जिन्हें एक्स्ट्रा फोकस जरूरत होती है, जिससे तैयारी अधिक इफेक्टिव होती है।

एडाप्टिव लर्निंग से स्टडी प्लानिंग को कैसे करते हैं कस्टमाइज

एडाप्टिव लर्निंग का एक बड़ा लाभ यह है कि यह स्टडी शेड्यूल को छात्र के परफॉर्मेंस के आधार पर समायोजित करता है। एडाप्टिव लर्निंग सिस्टम क्विज परफॉर्मेंस, प्रैक्टिस टेस्ट और विभिन्न स्टडी कंटेंट पर बिताए गए समय जैसे डेटा का उपयोग करके समझदारी से बनाया जाता है। ये सिस्टम रियल टाइम में कंटेंट, प्रैक्टिस क्वेश्चन और रिवीजन टाइमटेबल को लगातार सुधारते रहते हैं, जिससे छात्रों को ट्रैक पर बने रहने में मदद मिलती है और सबसे महत्वपूर्ण विषयों को जरूरी फोकस मिलता है।

एडाप्टिव लर्निंग के फायदे

हर छात्र की स्टडी स्पीड के अनुसार: हर छात्र की सीखने की विधि अलग होती है। एडाप्टिव लर्निंग छात्रों को अपनी स्पीड से पढ़ाई करने की अनुमति देती है, कठिन हिस्सों पर अधिक समय और आसान हिस्सों पर कम समय बिताने की सुविधा देती है। इससे बर्नआउट से बचाव होता है और टफ कॉन्सेप्ट की गहरी समझ विकसित होती है।

बेहतर रिटेंशन: एडाप्टिव लर्निंग वीक एरिया को मजबूत करती है और पहले सीखी गये कॉन्सेप्ट को नियमित रूप से रिवाइज्ड करती है। इससे इंपोर्टेंट कंटेंट भूलने की संभावना कम होती है और जानकारी बेहतर तरीके से संजोई जाती है।

मोटिवेशन में वृद्धि: एडाप्टिव लर्निंग चुनौतीपूर्ण कार्य प्रदान करके छात्र की रुचि बनाए रखती है। इससे छात्रों को कठिन विषयों से परेशान नहीं होने का एहसास होता और पहले से मालूम कंटेंट से बोरियत भी नहीं होती। यह बैलेंस सेल्फ कॉन्फिडेंस और मोटिवेशन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

ये भी पढ़ें

जय शाह: गुजराती खाने के दीवाने, जानिए किसे मानते हैं अपना आदर्श

कौन हैं बी. श्रीनिवासन एनएसजी चीफ, भारत के नए आतंकवाद विरोधी कमांडर

Share this article
click me!

Latest Videos

Bulldozer Action पर Asaduddin Owaisi ने BJP को जमकर धोया
कार से हो सकता हैं कैंसर! 99% गाड़ियों में है खतरा
Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
नक्सली सोच से लेकर भ्रष्टाचार के जन्मदाता तक, PM Modi ने जम्मू में कांग्रेस को जमकर सुनाया
दिल्ली सरकार की नई कैबिनेट: कौन हैं वो 5 मंत्री जो आतिशी के साथ लेंगे शपथ