Government School: इस राज्य में Primary Schools की संख्या 81 फीसदी बढ़ी, Scholarship भी बढ़ाई

 प्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों में प्राथमिक शालाओं (primary schools) की संख्या में 81 प्रतिशत, माध्यमिक शालाओं की संख्या में 55 प्रतिशत, हाईस्कूल की संख्या में 112 प्रतिशत, हायर सेकण्ड्री स्कूल की संख्या में 81 प्रतिशत और कन्या शिक्षा परिसरों की संख्या में 2633 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

करियर डेस्क. मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) में अनुसूचित जनजातियों (scheduled tribe) की बड़ी आबादी निवास करती है। प्रदेश में जनजातीय कार्य विभाग का बजट (Budget) वर्ष 2003-04 में लगभग 746 करोड़ रूपए था, जो अब बढ़कर 8 हजार करोड़ रूपए से भी अधिक हो गया है।  प्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों में प्राथमिक शालाओं (primary schools) की संख्या में 81 प्रतिशत, माध्यमिक शालाओं की संख्या में 55 प्रतिशत, हाईस्कूल की संख्या में 112 प्रतिशत, हायर सेकण्ड्री स्कूल की संख्या में 81 प्रतिशत और कन्या शिक्षा परिसरों की संख्या में 2633 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

छात्रावासों और आश्रमों में रहने वाले जनजातीय विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति की दरें राज्य सरकार ने बढ़ाई हैं। ये दरें बालकों के लिए 1230 रुपये से बढ़ाकर 1300 रुपये प्रतिमाह और बालिकाओं के लिये 1270 रुपये से बढ़ाकर 1340 रुपये प्रतिमाह की गई है। प्राथमिक कक्षाओं में अध्ययन करने वाली जनजातीय वर्ग की बालिकाओं की छात्रवृत्ति 15 रुपये प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह से बढ़ाकर 25 रुपये की गई है। कक्षा 6वीं की बालिकाओं की छात्रवृत्ति 50 रुपये प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह से बढ़ाकर 60 रुपये की गई है। प्रदेश के 9 लाख 98 हजार विद्यार्थियों को 153 करोड़ रुपये से अधिक की प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति और 2 लाख 48 हजार विद्यार्थियों को 381 करोड़ रुपये से अधिक की पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।

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कक्षा 9वीं से 12वीं की शिक्षा अधिक से अधिक विद्यार्थियों को मिले, इस उद्देश्य से प्रदेश के 5 जनजातीय विकासखण्डों में घर से स्कूल तक विद्यार्थियों को शाला लाने-ले जाने का पायलट प्रोजेक्ट आगामी-सत्र से प्रारंभ किया जा रहा है। जनजातीय विद्यार्थियों, जिन्हें छात्रावास में आवासीय सुविधा नहीं मिल पाती है, उन्हें संभागीय मुख्यालयों पर किराये के आवास में रहने के लिए सहायता दी जाती है। आवास सहायता योजना में पिछले 18 माह में एक लाख 26 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 207 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई है।

आकांक्षा योजना में 721 विद्यार्थियों को कोचिंग सुविधा प्रदान की गई, जिसमें 3 करोड़ रुपये से अधिक व्यय किया गया है। इस योजना से जेईई मेन्स, जेईई एडवांस, नीट, क्लेट आदि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रदेश के 346 जनजातीय विद्यार्थी चयनित हुए हैं। इस वर्ष 724 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति- बैगा का एक छात्र आईआईटी में और एक छात्र एमबीबीएस में अध्ययनरत है। इसी प्रकार एकलव्य आवासीय विद्यालयों के 36 विद्यार्थी जेईई मेन्स में चयनित हुए हैं।

प्रतिभा योजना में विगत 18 माह में 170 से अधिक विद्यार्थियों को उच्च शैक्षणिक संस्था में प्रवेश के लिए 58 लाख रुपये से अधिक की प्रतिभा प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। विदेश अध्ययन योजना में जनजातियों के प्रतिभावान विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए नियमित रूप से विदेश अध्ययन के लिये सहायता दी जा रही है। विगत 18 माह में इस योजना में चयनित 9 विद्यार्थी विदेश अध्ययन के लिए प्रस्थान कर चुके हैं, जिसमें दो छात्राएं भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना में विगत चार वर्षों में करीब साढ़े 5 हजार से अधिक जनजातीय छात्र/छात्राओं को इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट आदि विषयों से जुड़े देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश मिला है। राज्य सरकार द्वारा इन विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति पर लगभग 13 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए निजी कोचिंग संस्थाओं की कोचिंग शुल्क की प्रतिपूर्ति भी राज्य सरकार द्वारा की जाती है। इसके अलावा विद्यार्थियों को अन्य सभी प्रकार के व्ययों के लिये 12 हजार 500 रुपये प्रतिमाह की राशि भी दी जाती है। अनुसूचित जनजाति बहुल जिले श्योपुर और मण्डला में भारत सरकार के सहयोग से नये मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुए हैं।

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