
करियर डेस्क : क्या आप जानते कि जिस फ्लाइट को आप आसमान में उड़ते देखते हैं। जिसमें आप बैठकर एक शहर से दूसरे शहर, एक देश से दूसरे देश जाते हैं, उसमें हॉर्न होता है कि नहीं? अगर हां, तो यह किस काम आता है? क्या हवा में उड़ते पक्षियों को भगाने में या फिर किसी और काम में? क्योंकि आसमान में तो सबुकछ साफ-साफ दिखाई देता है। वहां सड़क जैसा ट्रैफिक भी नहीं होता। फिर आखिर हॉर्न का क्या मतलब होता है और इसका इस्तेमाल कहां होता है? आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी हर एक जानकारी...
फ्लाइट में हॉर्न होता है
सबसे पहले आप इस बात को जान लीजिए कि एयरोप्लेन यानी फ्लाइट में भी हॉर्न (Flight Horn) होता है। अब बात इसकी जरुरत क्या है? तो यह बात तो हर रोज प्लेन से सफर करने वालों को भी शायद ही जानते हो कि आखिर इस हॉर्न का इस्तेमाल कहां होता है? इसका काम क्या होता है और यह फ्लाइट में लगा कहां होता है? ज्यादातर लोग इन बातों से पूरी तरह अंजान हैं। बता दें कि किसी फ्लाइट की जो रुट होती है, उसे इस हिसाब से बनाया जाता है कि उसके रास्ते में किसी तरह की रुकावट न आए। इस कारण यह कतई संभव नहीं है कि किसी फ्लाइट के सामने कोई दूसरी फ्लाइट आ जाए। अब रही बात पक्षियों की तो यह भी सच नहीं कि पक्षियों के हटाने में इस हार्न का इस्तेमाल किया जाता है। तो फिर इसका इस्तेमाल होता कहां है, जानिए।
किस काम में होता है हॉर्न का इस्तेमाल
प्लेन का हॉर्न सामान्य गाड़ियों में लगे हॉर्न की तरह ही होता है। यह प्लेन के पहियों के पास लगा होता है। इसकी आवाज प्लेन बनाने वाली कंपनी अपने अनुसार तय करती है। फ्लाइट में जो हॉर्न लगा होता है, उसका इस्तेमाल प्लेन की केबिन में बैठे पायलट फ्लाइट स्टाफ और बाकी सदस्यों से संपर्क करने के लिए करते हैं। एयरपोर्ट पर चेक ऑफ करने के लिए भी इस हॉर्न का इस्तेमाल किया जाता है। हॉर्न बजाकर ग्राउंड स्टाफ को प्लेन की उड़ने की जानकारी दी जाती है। किसी भी तरह की समस्या के लिए हॉर्न के जरिए ही स्टाफ को अलर्ट किया जाता है।
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