Chandigarh MMS: सोशल मीडिया से कैसे हटता है आपत्तिजनक कंटेंट, क्या होती है पूरी प्रक्रिया, जानें

पुलिस ने इस मामले में दो युवकों को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया है। इनसे पूछताछ चल रही है। आइए जानते हैं ऐसे मामलों की पुलिस किस तरह जांच करती है? क्या होती है जांच की पूरी प्रॉसेस और किस तरह कंटेंट को डिलीट कराया जाता है?

Asianet News Hindi | Published : Sep 19, 2022 7:53 AM IST / Updated: Sep 19 2022, 02:07 PM IST

करियर डेस्क : चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (Chandigarh University) में छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो (Chandigarh MMS) मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। बड़े पैमाने पर इसका विरोध चल रहा है। छात्र-छात्राओं की नाराजगी को देखते हुए 24 सितंबर तक यूनिवर्सिटी बंद भी कर दी गई है लेकिन चुनौती पुलिस के सामने भी है। आमतौर पर जब भी इस तरह का कंटेंट सोशल मीडिया पर वायरल होता है तो पुलिस का काम काफी बढ़ जाता है। सतर्कता बरतनी पड़ती है। उस कंटेंट को डिलीट करवाना पड़ता है लेकिन क्या ये प्रक्रिया इतनी आसान होती है? आइए समझते हैं ऐसे केस में पुलिस क्या करती है? कैसे सोशल मीडिया से फोटो, वीडियो या ऑडियो हटाया जाता है? क्या होती है इसकी पूरी प्रक्रिया?

आपत्तिजनक कंटेट वायरल होने पर सबसे पहले क्या करती है पुलिस
जैसे ही कोई आपत्तिजनक फोटो, वीडियो या ऑडियो सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल होता है, जांच एजेंसिया सबसे पहले सबसे पहले उस प्लेटफॉर्म की तलाश करती हैं, जहां से यह वायरल हो रहा है और फैल रहा है। इस मामले में सबसे पहले जो भी आरोपी हाथ आता है, उससे कड़ाई से पूछताछ की जाती है। उसी के माध्यम से यह पता चलता है कि सबसे पहले कंटेंट को किस प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया गया है। कई बार तो ऐसा भी होता है कि इस तरह के कंटेंट को एक साथ कई सोशल प्लेटफॉर्म से जारी किया जाता है, ऐसी स्थित में एजेंसियां सभी सोशल मीडिया से जुड़े या उन्हें कंट्रोल कर रहे लोगों से सीधे संपर्क करती हैं, जैसे फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म के ऑफिस में कॉन्टैक्ट किया जाता है। वहां से कंटेंट को फैलने से रोका जा सकता है और वहीं से सारी जानकारी मिलती है कि इसका प्राइमरी सोर्स क्या है।

जब तक प्राइमरी सोर्स का पता नहीं चलता, तब तक क्या होता है
जब पुलिस या जांच एजेंसियों को यह पता चल जाता है कि सोशल मीडिया पर यह कहां से फैल रहा है, इसे फैलाने वाला कौन है, तब जांच एजेंसी इनके रेगुलेटिंग ऑफिसर या इनके दफ्तरों में संपर्क करती हैं। यह प्रॉसेस दो तरह से होती है। पहला- उस शख्स् के बारें में पूरी जानकारी प्राप्त करना, जैसे आईपी एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर..कई मामलों में इसमें काफी वक्त भी लग जाता है। लेकिन अगर यह मामला आपात स्थिति में देश की सुरक्षा से जुड़ा हो तो यह तत्काल हो जाता है। इसमें जरा सा भी समय नहीं लगता। तब सोशल मीडिया के मुख्यालय से सारी जानकारी तत्काल रुप से दी जाती है। पंजाब पुलिस भी इस वीडियो मामले में रेगुलेटर्स पर इमर्जेंसी रिस्पांस के तहत कार्रवाई कर सकती है, क्योंकि इससे कई लोग डिप्रेशन में जा सकते हैं और जान भी जाने का खतरा बना है। तेजी दिखाने से कंटेट फैलने से भी रोका जा सकेगा और वह सोर्स से भी हट सकता है।

सोशल मीडिया अफसर से सीधे संपर्क करने का क्या है नियम
सूचना प्रोद्यौगिकी नियम-2021 (Information Technology Rules, 2021) के मुताबिक, अगर इस तरह का मामला है तो पीड़ित डायरेक्ट सोशल मीडिया के ग्रीवेंसेस अफसर से संपर्क कर सकता है। वह चाहे तो जांच एजेंसियों की मदद भी ले सकता है। जितने भी बड़े सोशल साइट्स हैं, जैसे फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर को देश में उनसे जुड़े किसी विवाद को निपटाने के लिए अफसर नियुक्ति करना होता है। अगर उन्हें किसी तरह की शिकायत मिलती है तो 24 घंटे के अंदर उसमें हस्तक्षेप करना होता है और 15 दिनों में मामले को निपटाना पड़ता है। संशोधित आईटी नियम 2021 के अनुसार, अगर कंटेंट सेक्सुअल एक्ट या आपत्तिजनक तरीके से किसी के निजी क्षेत्र का हनन करता है तो उस कंटेंट को तत्काल रुप से हटाना होता है और उसे फैलने से भी रोकना होता है।

अश्लील कंटेट हटाना और आरोपी की पहचान कितना मुश्किल होता है
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया पर से कंटेंट हटाना और आरोपी की पहचान काफी मुश्किल होता है। फेसबुक और ट्विटर की बजाय वाट्सएप आरोपी की पहचान और कंटेंट को हटाना या खत्म करना काफी कठिन होता है। फेसबुक-ट्विटर पर संदिग्ध के अकाउंट तक पहुंचना और उसे हटना जांच एजेंसियों के लिए आसान होता है लेकिन जब बात वाट्सएप की आती है तब कंटेंट तेजी से वायरल होता है। इसलिए इसे हटना, रोकना या मुख्य आरोपी की पहचान काफी मुश्किलों भरा होता है। हालांकि एक बार अगर मूल कंटेंट हटा दिया जाता है तो बाकी जगह से भी वह धीरे-धीरे अपने आप ही खत्म हो जाता है।

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