पोती के जन्म पर खुश नहीं थे दादा-दादी, IAS बेटी ने गरीब पिता के पूरे किए थे सपने; गर्व से ऊंचा हो गया सिर

श्वेता अग्रवाल एक किराना की दुकान चलाने की बेटी हैं। जब इनका जन्म हुआ था तो इनके दादा-दादी खुश नहीं हुए। घर में सभी चाहते थे कि लड़के का जन्म हो। उस समय कौन जानता था कि यह लड़की आईएएस टॉपर बन कर उनका नाम ऊंचा करेगी। 

करियर डेस्क। श्वेता अग्रवाल एक किराना की दुकान चलाने की बेटी हैं। जब इनका जन्म हुआ था तो इनके दादा-दादी खुश नहीं हुए। घर में सभी चाहते थे कि लड़के का जन्म हो। उस समय कौन जानता था कि यह लड़की आईएएस टॉपर बन कर उनका नाम ऊंचा करेगी। इनका जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में भद्रेश्वर नाम के एक छोटे-से कस्बे में हुआ था। इनके माता-पिता ज्वाइंट फैमिली में रहते थे। परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी। फिर भी श्वेता अग्रवाल ने कई मुसीबतों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। 

शुरू से देखा बड़ा सपना
श्वेता अग्रवाल ने फैमिली की माली हालत अच्छी नहीं होने के बावजूद  शुरुआत से ही बड़ा सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए हर तरह से काफी संघर्ष किया। उनकी जिंदगी शुरू से ही मुश्किलों से भरी थी। घर में पैसों की कमी थी। लेकिन उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी।

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पढ़ाई में हमेशा रहीं अव्वल
श्वेता अग्रवाल बचपन से ही पढ़ने में तेज थीं। पढ़ाई में उन्होंने हमेशा बेहतर किया और कक्षा में अव्वल आती रहीं। इससे उनके टीचर काफी खुश रहते थे और हमेशा उनकी मदद करने को तैयार रहते थे। जब वे दूसरी कक्षा में थीं, तब उन्हें दूसरे बच्चों की तरह घर से पैसे लाकर खाना खरीदने के लिए कहा जाता था, लेकिन ऐसा कर नहीं सकती थीं।

पिता ने मजदूरी कर पैसा जुटाया
श्वेता की पढ़ाई और सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उनके पिता ने किराने की दुकान चलाने से लेकर मजदूरी तक भी की। उन्होंने हमेशा अपनी बेटी का हौसला बढ़ाया। श्वेता अग्रवाल ने कोलकाता से अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पिता ने उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दी। 

2015 में बनीं आईएएस टॉपर
श्वेता अग्रवाल ने शुरू से ही आईएस बनने का सपना देखा था। ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। उन्होंने दो बार यूपीएससी की परीक्षा में हिस्सा लिया। वह आईपीएस की परीक्षा में सफल रहीं। लेकिन वह आईएएस बनना चाहती थीं। आखिरकार, 2015 में उन्होंने यूपीएससी एग्जाम में टॉप किया और आईएएस ऑफिसर बनीं। उन्हें पश्चिम बंगाल कैडर मिला। इसके बाद उनकी फैमिली की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। श्वेता अग्रवाल ने यह साबित कर दिया कि मेहनत के बल पर किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है।    

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