रामचंद्र गुहा ने ठुकराए BCCI के पैसे, 40 लाख का होना था भुगतान

Published : Oct 23, 2019, 04:21 PM IST
रामचंद्र गुहा ने ठुकराए BCCI के पैसे, 40 लाख का होना था भुगतान

सार

गुहा ने भारतीय टीम में ‘सुपरस्टार संस्कृति’ की भी आलोचना की थी। गुहा ने सीओए के संचालन की भी आलोचना करते हुए कहा था कि उसने शीर्ष अदालत द्वारा स्वीकृत सुधारवादी कदमों को लागू करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।  

नई दिल्ली. जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बुधवार को कहा कि प्रशासकों की समिति में अपने कार्यकाल के लिए उन्होंने भुगतान की उम्मीद नहीं की थी और सीओए की पहली बैठक में ही इसे स्पष्ट कर दिया था। गुहा ने 40 लाख रुपये का भुगतान लेने से इनकार कर दिया जबकि सीओए के एक अन्य पूर्व सदस्य बैंकर विक्रम लिमये ने भी भुगतान लेने से मना कर दिया। लिमये को 50 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान होना था।

गुहा और लियमे नहीं ले रहे पैसे 
गुहा ने बताया, ‘‘मैंने पहली बैठक में ही कह दिया था कि मैं किसी भुगतान की उम्मीद नहीं कर रहा और ना ही भुगतान चाहता हूं।’’ लिमये ने भी इसी कारण से भुगतान लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सीओए की पहली बैठक में ही बता दिया था कि मैं इसके लिए कोई मुआवजा नहीं लूंगा। यह मेरी मौजूदा स्थिति नहीं है, मैंने इसे पहले ही स्पष्ट किया था... यह निजी चीज थी। इसका किसी अन्य चीज से कोई लेना देना नहीं है।’’ बुधवार को बीसीसीआई के संचालन से हटने वाली विनोद राय की अगुआई वाली प्रशासकों की समिति में शुरुआत में चार सदस्य थे जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने 30 जनवरी 2017 को नियुक्त किया था। गुहा ने निजी कारणों से जुलाई 2017 में इस्तीफा दिया जबकि लिमये भी इसके बाद अपना पद छोड़कर नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक और सीईओ बने।

गुहा के इस्तीफा पत्र से बाद में काफी बवाल हुआ क्योंकि उन्होंने खिलाड़ियों और कोचों के कई पदों पर होने के कारण हितों के टकराव से निपटने में नाकाम रहने के लिए बीसीसीआई को लताड़ लगाई थी। उन्होंने राष्ट्रीय टीम के तत्कालीन कोच अनिल कुंबले के मामले से निपटने के तरीके की भी आलोचना करते हुए कहा था कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए था।

चैंपियन्स ट्राफी 2017 के बाद कप्तान विराट कोहली के साथ सार्वजनिक मतभेदों के चलते कुंबले ने पद छोड़ दिया था। गुहा ने भारतीय टीम में ‘सुपरस्टार संस्कृति’ की भी आलोचना की थी। गुहा ने सीओए के संचालन की भी आलोचना करते हुए कहा था कि उसने शीर्ष अदालत द्वारा स्वीकृत सुधारवादी कदमों को लागू करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

PREV

Recommended Stories

IND vs SA 3rd T20i: ये 5 भारतीय धुरंधर साउथ अफ्रीका के लिए बने काल
IND vs SA 3rd T20i: धर्मशाला में टीम इंडिया की धमाकेदार जीत, साउथ अफ्रीका को 7 विकेट से रौंदा