वीरमगाम में हार्दिक का स्वागत नहीं कर रहे कई भाजपा नेता, कहीं पार्टी के लिए मुसीबत न बन जाए ये विरोध

Gujarat Assembly Election 2022: भाजपा ने गुजरात चुनाव में हार्दिक पटेल को वीरमगाम सीट से मैदान में उतार तो दिया है, मगर उनके लिए यहां के स्थानीय भाजपा नेता और कार्यकर्ता भी परेशानी का सबब बने हुए हैं। 

Ashutosh Pathak | Published : Nov 25, 2022 7:40 AM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार हार्दिक पटेल को वीरमगाम विधानसभा सीट से टिकट दिया है। इस सीट पर दूसरे चरण में यानी 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है। हार्दिक पटेल ने वीरमगा से भाजा के टिकट पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर दी है। हालांकि, चुनाव जीतने के लिए लोकल लेवल पर हो रहे विरोध से निपटना हार्दिक के लिए बड़ी चुनौती है। वीरमगाम में ही कई बड़े नेता हार्दिक की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे। 

गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी। पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को हुई, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय थी। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर को हुई। 

शाह की फटकार के बाद हार्दिक की मदद को आगे आए नेता 
पार्टी सूत्रों की तरफ से कहा जा रहा है कि कई नेता और कार्यकर्ताओं ने जब अपना रुख नहीं बदला, तब अमित शाह को खुद आगे आना पड़ा। अमित शाह की फटकार के बाद अब बहुत से नेता-कार्यकर्ता हार्दिक के साथ जुड़ तो गए हैं, मगर यह कितनी लगन से है, इसका असर 5 दिसंबर को दिखेगा और परिणाम 8 दिसंबर को पता चलेगा। हालांकि, भाजपा के लिए इस सीट पर एक प्लस प्वाइंट ये है कि कांग्रेस ने यहां मौजूदा विधायक लाखाभाई भरवाड़ को ही मैदान में उतारा है। 

भाजपा की नजर पटेल-ओबीसी पर 
शहर में चर्चा है कि लाखाभाई ने कुछ काम नहीं किया है, जिससे यहां का विकास रूक गया है। इसके साथ ही चर्चा यह भी चलाई जा रही है कि लाखाभाई स्थानीय नहीं बल्कि, बाहरी हैं। इस बार ठाकोर समाज के लोग उहापोह स्थिति में हैं कि वे किसके साथ जाएं, क्योंकि अब तक जहां वे कांग्रेस और भाजपा में बंटे हुए थे, वहीं इस बार आम आदमी पार्टी ने अमर सिंह ठाकोर को यहां से मैदान में उतारा है। अब भाजपा पटेल और ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग पर नजर गड़ाए हुए है। 

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