मुस्लिम के साथ कांग्रेस और BTP के कोर वोटर्स पर भी ओवैसी की निगाह, जानिए BJP को कैसे पहुंचा रहे फायदा

Gujarat Assembly Election 2022: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में मुस्लिम, आदिवासी और दलित बहुल 30 विधानसभा सीट पर प्रत्याशी खड़े कर सकती है। अहमदाबाद की रिजर्व सीट दाणीलिमडा विधानसभा सीट पर कौशिक परमार को टिकट देकर उन्होंने इसके संकेत दे दिए हैं। 

Ashutosh Pathak | Published : Nov 8, 2022 6:30 AM IST / Updated: Nov 08 2022, 12:30 PM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022:  गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होते ही राज्य में सभी राजनीतिक दल जोरशोर से रणनीति बनाने में जुटे हैं। भाजपा हो या कांग्रेस, आम आदमी पार्टी हो या बीटीपी या फिर असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन। सभी एक दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक की रिपोर्ट और ओपिनियन पोल में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और बीटीपी यानी भारतीय ट्राइबल पार्टी को होता दिख रहा है। वहीं, फायदा आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम को होता नजर आ रहा है। 

दरअसल, दलित और मुसलमान अब तक कांग्रेस के तथा बीटीपी के कोर वोटर हुआ करते थे, मगर इस बार चुनाव में ओवैसी की पार्टी मुस्लिम के साथ-साथ दलित वोट बैंक पर भी निगाह रखे हुए हैं। यह संकेत इस तरह दिख रहा कि ओवैसी ने राज्य की मुस्लिम बहुत सीटों के साथ-साथ दलित बहुल विधानसभा सीटों पर भी प्रत्याशी खड़े किए हैं। ओवैसी ने अहमदाबाद की रिजर्व सीट दाणीलिमडा विधानसभा सीट पर कौशिक परमार को टिकट दिया है। इस तरह, ऐसी कई सीट है, जिस पर प्रत्याशी उतारकर ओवैसी, न सिर्फ कांग्रेस बल्कि, आप और बीटीपी के लिए परेशानी का सबब बन जाएंगे। 

गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार क्या करने वाले हैं ओवैसी.. 

ओवैसी की यह चाल भाजपा को भी नुकसान पहुंचाएगी! 
मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों पर तो ओवैसी की निगाह पहले से थी, मगर दलित सीटों पर भी उनके आने से भाजपा को फायदा होता दिख रहा है। वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ-साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी तथा कई निर्दलीय उम्मीदवारों का खेल भी ओवैसी बिगाड़ सकते हैं। माना जा रहा है कि एआईएमआईएम इस बार मुस्लिम, दलित और आदिवासी बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेगी और यह संख्या करीब ढाई दर्जन तक हो सकती है। हालांकि, बीते कुछ चुनाव में सभी तो नहीं, मगर अच्छी संख्या में दलितों का झुकाव  भाजपा की ओर बढ़ा है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर भाजपा को वोट करने वाले दलित वोटर इधर से उधर नहीं हुए तो भाजपा को नुकसान नहीं होगा, वरना ओवैसी की यह चाल भाजपा को भी नुकसान पहुंचाएगी। 

गुजरात में किंग नहीं तो किंग मेकर ही सही 
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ओवैसी जिस तरह गुजरात में खेल रहे हैं, उससे लग रहा है कि वे अभी किंग भले नहीं बनना चाह रहे, मगर किंग मेकर की भूमिका में जरूर आना चाह रहे हैं। दरअसल, मुस्लिम, आदिवासी और दलित बहुल सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने से मामला चार लोगों के बीच हो जाएगा। वोट खूब कटेंगे और संभवत: ओवैसी के प्रत्याशियों को इसका फायदा मिले। ऐसे में करीब ढाई दर्जन सीट अगर वे अपने पाले में कर लेते हैं और अच्छे वोट शेयर पर उनका कब्जा हो जाता है, तो अगले कुछ साल में वे किंग भले नहीं बने, मगर किंग मेकर की भूमिका में आ सकते हैं। 

पहले चरण के लिए स्क्रूटनी 15 नवंबर को होगी 
गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी होगा। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय है। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर निर्धारित की गई है। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख होगी, जबकि दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर होगी। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर (Gujrat Vidhansabha Chunav kitni tarikih ko hai) को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी और संभवत: उसी दिन देर रात तक अंतिम परिणाम जारी हो जाएंगे। 

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