पंजाब चुनाव : कोरोना के कारण थमा चुनावी शोर, न रैली, न रोड-शो, नेताओं की चिंता- आखिर कैसे मांगे वोट

हेल्थ विभाग के सूत्रों के मुताबिक संक्रमण को लेकर चुनाव आयोग को जो रिपोर्ट दी है, इसमें बड़ी रैलियों पर रोक जारी रखने का आग्रह किया गया है। छोटी सभाएं हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए जो नियम है, उनकी पालना हर हालत में होनी चाहिए। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 31, 2022 4:30 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब चुनाव (Punjab Chunav 2022) में कोरोना संक्रमण ने नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ संक्रमण की रफ्तार, दूसरी तरफ चुनाव..नेताओं के सामने सबसे बड़ी परेशानी है जनता के बीच जाने की। कोरोना के चलते उन्हें न रैली और न ही रोड-शो की इजाजत मिल रही है। हालांकि रैलियों पर रोक कब तक रहेगी इसका फैसला आज चुनाव आयोग की बैठक में हो जाएगा। बता दें कि राज्य में कोरोना (Corona) से 31 मौत हो चुकी है। करीब 1530 लोग लाइफ सेविंग सपोर्ट पर हैं। 

खतरा अभी टला नहीं है
हेल्थ विभाग के अनुसार पंजाब में कोरोना के केस तो कम हो रहे हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि लोग मास्क ही नहीं लगा रहे हैं। चुनाव होने की वजह से बाजारों में भीड़-भाड़ बनी हुई है। इस वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है। इस तरह से संक्रमण का जो ग्राफ थोड़ा नीचे आता दिखाई दे रहा है, वह किसी भी वक्त बढ़ सकता है। 

ग्रामीण क्षेत्र चिंता का विषय
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि रैलियों पर तो चुनाव आयोग की टीम सीधी नजर रखे हुए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सभाएं हो रही है। वहां लोग मास्क और सामाजिक दूरी के नियम का पालन भी नहीं कर रहे हैं। हेल्थ विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एमएस गिल ने कहा लोगों को समझना चाहिए कि संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है? इसके लिए हर किसी को अपना व्यवहार बदलना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। 

बड़ी रैलियों पर रोक की अपील
इधर, हेल्थ विभाग के सूत्रों के मुताबिक संक्रमण को लेकर चुनाव आयोग को जो रिपोर्ट दी है, इसमें बड़ी रैलियों पर रोक जारी रखने का आग्रह किया गया है। छोटी सभाएं हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए जो नियम है, उनकी पालना हर हालत में होनी चाहिए। इस तरह के सुझाव हेल्थ विभाग की ओर से चुनाव आयोग को भेजे गए हैं। 

नेताओं की चिंता - कैसे मांगे वोट
दूसरी तरफ नेताओं का कहना है कि यदि रैली ही नहीं होगी तो फिर वह अपनी बात कैसे लोगों तक पहुंचा पाएंगे। उनकी मांग है कि रैलियों की इजाजत मिलनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसका असर उनके प्रदर्शन पर भी पड़ सकता है। क्योंकि जनसंपर्क के दूसरे तरीके से रैलियां और सभा सबसे कारगर और तेज माध्यम है। इस तरह से तेजी से अपनी बात बडे़ समूह तक पहुंचाई जा सकती है। इसलिए रैली और सभाओं की इजाजत मिलनी चाहिए। बहरहाल पंजाब में रैलियों को इजाजत मिलेगी या नहीं इसका फैसला तो आज होगा, लेकिन नेताओं की कोशिश है कि किसी तरफ चुनाव आयोग इसकी परमिशन दे।

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